बेतिया में लाल गोपाल सिंह नेपाली के बारे में कौन नही जानता ।
वे बहुमुखी प्रतिभाशाली थे हिन्दी के प्रसिद्ध कवि, लेखक, पत्रकार होने के साथ ही फिल्म जगत में बतौर गीतकार, निर्माता व निर्देशक भी कार्य किया। मुंबई प्रवास के दिनों में नेपाली ने तकरीबन चार दर्जन फिल्मों के लिए गीत रचे थे। उसी दौरान इन्होंने ‘हिमालय फिल्म्स’ और ‘नेपाली पिक्चर्स’ की स्थापना की थी। निर्माता-निर्देशक के तौर पर गोपाल सिंह नेपाली ने तीन फीचर फिल्मों-नजराना, सनसनी और खुशबू का निर्माण भी किया था।
1933 में बासठ कविताओं का इनका पहला संग्रह ‘उमंग’ प्रकाशित हुआ था। ‘पंछी’ ‘रागिनी’ ‘पंचमी’ ‘नवीन’ और ‘हिमालय ने पुकारा’ इनके काव्य और गीत संग्रह हैं।
‘हम धरती क्या आकाश बदलने वाले हैं, हम तो कवि हैं, इतिहास बदलने वाले हैं ,’ ‘राजा बैठे सिंहासन पर, यह ताजों पर आसीन कलम, मेरा धन है स्वाधीन क़लम।’ ‘निज राष्ट्र के शरीर के सिंगार के लिए तुम कल्पना करो, नवीन कल्पना करो।’ जैसी रचनाओं के माध्यम से नेपाली जी हमारे दिल पर राज करते हैं। उक्त बातें स्थानीय कवि-साहित्यकारों ने नेपाली की 111वीं जयंती के अवसर पर नगर के कविवर नेपाली पथ स्थित नेपाली की प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्पार्पण करते वक्त कही। इसके पूर्व कवियों ने प्रतिमा और स्मारक परिसर की साफ-सफाई की। एमजेके कॉलेज के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. परमेश्वर भक्त ने कहा कि आग और राग का गीतकार, धरती और आकाश को अपनी इच्छानुसार बदलने की क्षमता रखनेवाला कवि तथा देश की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए ‘वनमैन आर्मी’ की भूमिका में उतरकर राष्ट्रव्यापी जागृति का संदेश देने वाला एक राष्ट्रीय व्यक्तित्व सदा अमर रहेगा। डॉ. जफर इमाम ने कहा कि गीतों के राजकुमार से विभूषित, चंपारण साहित्य के नक्षत्र गोपाल सिंह नेपाली जैसे कम ही होते हैं जिन्हें इतनी लोक प्रसिद्धि मिलती है। चंपारण का लाल आज हिंदी साहित्य का चमकता सितारा है। मौके पर सुरेश गुप्त, प्रो. कमरुज्जमां कमर, अरुण गोपाल, दिवाकर राय, आभास झा, जयकिशोर जय, राजीव रंजन झा, डॉ. जगमोहन कुमार, अनिल कुमार, महेन्द्र चौधरी आदि उपस्थित थे।