चुनाव में महिलाओं को आरक्षण का लाभ क्या सच में महिलाओं को मिला है या सिर्फ उनके नाम पर चुनाव लड़ कर महिलाओं के पति अपने आपको मुखिया पति पार्षद पति आदि से विभूषित करवाते है महिलाये आज भी घर गृहस्थी में व्यस्त है।
सरकार के लाख कोशिश और कानून बनाने के बाद भी महिलाएं सिर्फ अपने पति के लिये सिर्फ चुनावी मुद्दे है ।
सरकार के लाखो कोशिश के बाद सरकार के अधिकारी ही महिला आरक्षण पर सख्त नही है माननीय BDO साहेब को पता है की मुखिया हो या वार्ड सदस्य या पंचायत के किसी भी पद पर आरक्षण के तहत पहुंची अधिकांश जनप्रतिनिधि के बदले उनके पति ही काम करते है फिर भी अधिकारी चुप रहते है एक अनुमान के मुताबिक दस प्रतिशत से भी कम महिला प्रतिनिधि सही मायने में सरकार के आरक्षण के कानून का लाभ उठा रही है।
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