हालांकि कोयला मंत्री ने व्यान देकर कहा कि देश मे कोयले का कोई संकट नहीं है परंतु शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों मे बिज़ली की कटौती किस आधार पर की जाने रही है अगर सच मे कोयले की कमी नहीं है तो उत्पादन पूरा हो रहा है तो फिर पिछ्ले कुछ दिनों मे अचानक बिजली की कटौती क्यों ज्यादा हो रही है ।
कोयला मंत्री का व्यान और क्षेत्र मे बिज़ली कटौती दोनों मे ही विरोधाभास है, मंत्री के व्यान को ही अगर सच माने तो फिर बिज़ली की कटौती क्यों हो रही है इसका जवाब नहीं पा रहा। हालांकि मंत्री ने माना कि अत्यधिक बारिश की वजह से कोयला उत्पादन का काम प्रभावित हुआ परंतु जल्द ही जल्द ही सभी थर्मल पावर स्टेशनों में कोयले का पर्याप्त स्टॉक होगा।
परन्तु केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की बात को माने तो उनकी रिपोर्ट के अनुसार 27 पावर प्लांट के पास एक दिन का, 20 पावर प्लांट के पास दो दिन और 21 प्लांट के पास तीन दिन का स्टॉक है। वहीं, 20 प्लांट के पास 4 दिन, पांच के पास पांच दिन और आठ पावर प्लांट के पास छह दिन का स्टॉक है।
अब कारण जो भी पर बिहार मे उपभोक्ताओं को सबसे ज्यादा बिजली मूल्य अदा करने के बाद भी बिजली के लिए इंतजार करना पड़ता है।