*जनता के टैक्स से जनप्रतिनिधियों की सेवा करते हैं अधिकारी*
*सरकारी कर्मचारी आम आदमी के नौकर हैं – यह केवल अवधारणा ही हैं*
काश इतनी शिद्दत से नगर के अधिकारी बिना मुख्यमंत्री के आए भी नगर के आम नागरिक की सेवा करते तो सही मायने में सुशासन का राज समझा जाता
इसका जीता जागता उदाहरण हैं बेतिया नगर जहाँ आम जनता वर्षों से दुख झेल रही है । परंतु उनकी परेशानी का कोई इलाज नहीं होता परंतु मुख्यमंत्री के आने की सूचना मात्र से सालों तक परेशानी का सबब बनी सड़कें दुरुस्त होने लगी गंदगी साफ होने लगी और तो और नेशनल हाईवे पर स्थित शहर की सड़कों से गंदगी नदारद हो गई | काश इतनी शिद्दत से नगर के अधिकारी बिना मुख्यमंत्री के आए भी नगर के आम नागरिक की सेवा करते तो सही मायने में सुशासन का राज समझा जाता । शहर की जनता ने बताया कि काश सुबह के सुशासन बाबु हमेशा ऐसे ही आते रहते तो शहर की व्यवस्था सुदृढ़ एवं उत्कृष्ट रहती | सुशासन के अधिकारी अपनी मतवाली चाल में मदमस्त रहते हैं | ऐसे ही समय-समय पर सुशासन बाबु का आना आम लोगों के लिए हितकारी साबित होगा |