हर सामाजिक समस्या का समाधान बन जाऊँ ।
ज़रूरतमंदों की ज़रूरत का सामान बन आऊँ ।।
बन के नेता नेतागिरी करने का शौक़ नहीं मुझे ।
चाहत है समाज सेवा का दूसरा नाम बन जाऊँ।।
शायद यहीं सोच है बेतिया की निवर्तमान सभापति और समाजसेवी गरिमा देवी की तभी तो उन्होंने कहा की चम्पारण सत्याग्रह के साथ स्वाधीनता संग्राम के लिये करोड़ों देशवासियों को जगाने वाले बापू का चम्पारण की धरती ऋणी है। उसी धरती पर महात्मा गांधी की आदमकद प्रतिमा का उनके अस्थि कलश स्थल पर स्थापित कराने का सौभाग्य मुझे प्राप्त होना मेरे सामाजिक जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
इस पुण्य कार्य का प्रस्ताव मुझे भेजने के लिये मैं और मेरा पूरा परिवार प्राचार्य डॉ. सुरेन्द्र प्र.केसरी और समस्त महाविद्यालय परिवार का आभारी है
महारानी जानकी कुंवर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर केसरी के शब्दों में ” अनेक गणमान्य और सक्षम लोगों से निराश होने के बाद करीब डेढ़ साल पूर्व मैंने गरिमा जी की ख्याति और कर्मठता से प्रभावित होकर एक पत्र लिखा था। जिसमें अपने पूर्ववर्ती प्राचार्य के कार्यकाल से लंबित बापू के अस्थि-कलश स्थल पर एक सुसज्जित स्मारक निर्माण की अधूरी योजना को पूर्ण कराते हुये उक्त ऐतिहासिक स्थल पर सुसज्जित स्मारक निर्माण का अनुरोध किया था।कोरोना त्रासदी की भारी मंदी के बावजूद गरिमा ने अपनी लिखित सहमति देकर हमारे महाविद्यालय परिवार को उपकृत कर दिया। स्मारक स्थल का जीर्णोद्धार कार्य जारी रहते श्रीमती सिकारिया एक जानलेवा सड़क हादसे की शिकार हो गईं। बावजूद इसके उनके इलाज के लिए बेतिया से महीनों बाहर रहने के बावजूद आज इस महत्वपूर्ण कार्य का पूरा होकर लोकार्पण होना गरिमा जी के गरिमामय व्यक्तित्व की महानता को सिद्ध करता है।
समारोह की मुख्य अतिथि रही रहीं नगर निगम की निवर्त्तमान सभापति गरिमा देवी सिकारिया ने कहा कि चम्पारण सत्याग्रह के साथ स्वाधीनता संग्राम के लिये करोड़ों देशवासियों को जगाने वाले बापू का चम्पारण की धरती ऋणी है “