आखिर जिलाधिकारी के नाम पर रजिस्टर एम्बुलेंस को कैसे निजी कार के रूप में प्रयोग कर रहे है डॉक्टर प्रमोद तिवारी


बेतिया परिवहन कार्यालय मे माननीय जिलाधिकारी के नाम पर रजिस्टर एम्बुलेंस को किस तरह बेतिया के प्रतिष्ठित डॉक्टर प्रमोद तिवारी  निजी सवारी गाड़ी के रूप मे प्रयोग कर रहे है। जबकी वो सक्षम है की अपने लिये खुद की गाड़ी खरीद सके परंतु शायद पद का लाभ उठाने की कोशिश में माननीय विधायक द्वारा समाज सेवा के लिये दी गई एम्बुलेंस का रूप परिवर्तन कर उसको निजी कार के रूप मे प्रयोग कर रहे है प्रतिष्ठित डॉक्टर ।

                जैसा की जानकारी मिली की लंबे समय से नगर के प्रतिष्ठित डॉक्टर प्रमोद तिवारी द्वारा एक मारुति वैन का प्रयोग किया जा रहा है जो कि वास्तविक रूप मे एक एम्बुलेंस है। उपर्युक्त जानकारी के बाद जब इस गाड़ी के बारे मे जिला परिवहन कार्यालय से नंबर के आधार पर जानकारी प्राप्त की गई तो उक्त गाड़ी का निबंधन माननीय जिलाधिकारी के नाम पाया गया। सबसे आश्चर्यजनक बात यह रही की आखिर जिलाधिकारी के नाम पर निबंधित एम्बुलेंस को निजी गाड़ी मे कैसे बदल दिया गया, जब हम इसकी जानकारी के लिये जिलाधिकारी से मिलने की कोशिश की तो उनसे मुलाकात नहीं हो सकीं। तत्पश्चात्य जब हमने इसकी गहन जाँच की तो जो सच्चाई हमारे सामने आयी वो समाजसेवा के नाम धोखा देने वाली प्रतीत हुई, हालाँकि सही सच्चाई तो जिलाधिकारी कार्यालय के जाँच के बाद ही पता लगेगी।

हमारी जानकारी के अनुसार उक्त एम्बुलेंस को राष्ट्रीय समाजसेवी संगठन की आड़ में उपर्युक्त व्यक्ती तक पहुँचाने का कार्य किया प्रतीत होता है, सर्वप्रथम इस कथित एम्बुलेंस को माननीय विधायक द्वारा एक बड़ी सामाजिक संस्था इनर व्हील क्लब ऑफ बेतिया को दे दिया गया । अब उसके बाद किस तरह से इस एम्बुलेंस रूपी गाड़ी को इस क्लब द्वारा उक्त डॉक्टर को निजी प्रयोग के लिये दे दिया गया इसका खुलासा जाँच के बाद ही होगा परंतु समाज सेवा के नाम पर मिली एम्बुलेंस का निजी प्रयोग के लिये दिये जाने की घटना अगर सत्य है तो यह बहुत ही निन्दा के योग्य हैं। हालाँकि जब इस संबंध मे जब क्लब के एक सदस्य से बात की गई तो उन्होंने पहले तो बताया की उपर्युक्त एम्बुलेंस खराब स्थिति में पडी है तो हमने उन्हें बताया कि उक्त गाड़ी का प्रयोग एक प्रतिष्ठित डॉक्टर द्वारा निजी रूप से किया जाता रहा है तो उन्होंने इसपर घोर आश्चर्य प्रकट किया परंतु जब उन्हें अंदाजा लगा कि इससे क्लब की बदनामी होगी तो उन्होंने बाद मे फोन पर बताया कि नहीं क्लब द्वारा उन्हें यह गाड़ी सदस्यों की सहमती से दी गई है। अब सच्चाई क्या है यह तो जाँच के बाद ही पता चलेगा।

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