बेतिया नगर निगम द्वारा ना जाने किस वजह से नगर में खुले आम माँस की दुकानों को मंदिरों से महज चंद कदमों की दूरी पर खुलेआम माँस की बिक्री की इजाजत देते है यह बहुत ही शोचनीय है आखिर उन्हें ऐसा क्यूँ लगता है की उनके ऐसा करने से जो भक्त मंदिर जा रहे है उनको किसी तरह की परेशानी नहीं होती होगी
या चंद सिक्कों ( राजस्व) के लालच में वो हिन्दू भावनाओं को आहत करने से नहीं चूकते ऐसी स्थिति तब है जब अनेक अधिकारी हिन्दू है और वो आसानी से इस तकलीफ को समझ सकते है
हालाँकि ऐसा है की कुछ हिंदू माँस का सेवन करते है और उन्हें इससे किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता फिर भी आखिर वो कौन सी वजह है जिस वजह से नगर निगम के अधिकारियों द्वारा जानबूझकर हिन्दू आस्था से खिलवाड़ किया जा रहा है
अगर गौर से देखा जाय तो ऐसे दुकानों पर बिकने वाली माँस रूपी खाद्य सामग्री नगर वासियों के स्वास्थ्य के हिसाब से भी फायदेमंद नहीं है इस तरह खुले में नालों के किनारे बिकने वाली वस्तु नगरवासियों के स्वास्थ्य को भी हानी पहुँचाती है परन्तु अधिकारियों को अपने नागरिकों के स्वास्थ्य की चिंता तनिक भी नहीं है
शायद अधिकारियों की सोच भी यही है की
“अपना काम बनता …………..।”
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