आखिर नर्सिंग होम में मौत पर ही क्यूँ चौकन्ना होते है स्वास्थ्य अधिकारी और बुद्धिजीवी वर्ग क्या उगाही का होता है खेल

मरीज़ की मौत पर पहुचें अधिकारी !

नर्सिंग होम की जाँच अवैध पाया गया नर्सिंग होम !!

मौत पर परिजनों ने मचाया उत्पात  !!

क्या है ऐसी बातों की सच्चाई जानने की एक छोटी सी कोशिश

 

ऐसी ख़बरें आपको हरदम मीडिया मे देखने को मिलती रहती है हालाँकि एक डॉक्टर मरीज़ को क्यूँ मारना चाह्ता है इसकी वजह कोई बताने को तैयार नहीं होगा। हालाँकि कुछ अवैध डॉक्टर भी है और मरीज़ को पहले इसकी जांच-पड़ताल कर लेनी चाहिये

                  ??आखिर मरीज़ को जब उस डॉक्टर पर विश्वास ही नहीं था तो वह उसके इलाज के लिये कैसे पहुँचा परंतु देखा जाता है कि जैसे ही किसी नर्सिंग होम में किसी मरीज़ की मौत होती  है सबसे पहले परिजनों द्वारा उत्पात मचाना शुरू कर दिया जाता है फिर उसको शांत कराने के लिये पुलिस पहुँचती है और डॉक्टर बेचारा क्लिनिक छोर कर फरार। घटना की खबर के बाद धीरे-धीरे बुद्धिजीवी वर्ग का जमावड़ा शुरू हो जाता है जिनको सिर्फ सुर्खियाँ बनानी होती है। और सबसे अंत मे पहुंचा करते है स्वास्थ्य अधिकारी उनको तो अभी तक पता ही नहीं रहता की वैध और अवैध क्या है वो आते ही घंटों बंद कमरे में जाँच पडताल करते है और फिर मीडिया के सम्मुख आकर व्यान देते है कि जाँच की जा रही है और चलते बनते है इनकी जाँच रिपोर्ट क्या आयी ये भगवान जाने।

                      अगर गहराई से इसका अध्ययन किया जाय तो जो मौत के बाद जो खेल शुरु होता है उसके पीछे कहीं ना कहीं आर्थिक दोहन का खेल है क्यूँकी जो मरीज़ के साथ घटना घटी वो स्वयं डॉक्टर का नाम और खूबियाँ समझकर ही नर्सिंग होम में आया होता है परन्तु मरीज़ की मौत के बाद उसे उस डॉक्टर में सिर्फ बुराईयां ही बुराइयाँ देखने को मिलती है ।

            अब हम आते है स्वास्थ्य अधिकारियों की तरफ जो आनन फानन में एक जाँच टीम तैयार करते है और पहुँच जाते है नर्सिंग होम की जाँच करने जैसे कि इनको पहले से कुछ पता ही नहीं होता कि कितने नर्सिंग होम वैध है कितने अवैध।परन्तु अगर सच्चाई देखी जाय तो इनका भी खेल कहीं ना कहीं अवैध उगाही की ओर इशारा करता है क्यूँकी इनसे अगर जानने की कोशिश की जाय पिछले जाँच में क्या पाया तो शायद ही कोई जानकारी हाथ लगे।

 

2 thoughts on “आखिर नर्सिंग होम में मौत पर ही क्यूँ चौकन्ना होते है स्वास्थ्य अधिकारी और बुद्धिजीवी वर्ग क्या उगाही का होता है खेल

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