गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बना सस्पेंशन ब्रिज 30 अक्टूबर को टूट गया और जिसमे 135 लोगों की असमय मौत हो गई थी । जिस दिन यह घटना घटी उस समय उस पूल की देखभाल ओरेवा समूह के जिम्मे थी। और उस घटना के लिये उसे ही जिम्मेदार माना गया था ।
ओरेवा समूह ने अदालत के आदेशानुसार मंगलवार को पीड़ितों को भुगतान की जाने वाली 14.62 करोड़ की रकम को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा करा दिया है। साथ ही कम्पनी ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि उसने मोरबी पुल हादसे के पीड़ितों को अंतरिम मुआवजे के रूप में दिए जाने वाले 14.62 करोड़ रुपये राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा कर दिए है। उच्च न्यायालय ने फरवरी में समूह को यह निर्देश दिया था। पिछले साल 30 अक्टूबर को मोरबी शहर में एक पुल गिर गया था जिसमें 135 लोगों की मौत हो गई थी।
ब्रिटिश कालीन उस पुल के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी ओरेवा समूह पर थी। कंपनी ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ए जे देसाई और न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव की पीठ को सूचित किया कि उसने पीड़ितों को अंतरिम राहत के रूप में भुगतान की जाने वाली पूरी राशि (14.62 करोड़ रुपये) गुजरात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा कर दी है। कंपनी के अनुसार दो समान किस्तों में यह राशि जमा कराई गई। अदालत ने कहा कि पीठ के 22 फरवरी के आदेश के अनुसार राशि वितरित की जाएगी।
अदालत ने अपने उस आदेश में, गुजरात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को पीड़ितों के उचित सत्यापन के बाद जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं संबंधित सरकारी अधिकारियों के समन्वय से राशि का वितरण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था