कैदी को पागल बताकर मामले को रफा -दफा करने की कोशिश : मनोज केशान 

 
बेतिया। मंडलकारा में मंगलवार की सुबह लगभग 11:30बजे विचाराधीन कैदी शमशेर अंसारी
ने फांसी  लगा खुदकुशी कर ली। वह बेतिया शहर के दरगाह मोहल्ले का रहने वाला था। धार्मिक उन्माद फैलाने और तोड़फोड़ के मामले में जेल में बंद था। कोविड – 19 से सुरक्षा को लेकर कैदियों के लिए मोतिहारी में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर से विगत 9 जुलाई को बेतिया जेल में आया था। कैदी के फांसी लगाने की सूचना पर जेल में हड़कंप मच गया।  सूत्र के अनुसार शमशेर अंसारी लीची के पेड़ के पास गया और अपनी शर्ट को फांसी का फंदा लगा पेड़ से लटक गया। आनन-फानन में उसे फांसी के फंदे से उतार अस्पताल भेजा गया ,जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना पर समाजसेवी मनोज केशान ने कई सवाल उठाये है। तथा मानवअधिकार से जाँच की मांग की है। केशान ने हमें बताया की बेतिया जेल में कैदी की मौत पर गलत बयान दिया गया है।  कैदी को पागल बताकर मामले को रफा- दफा की कोशिश ,पागल को कैदी रखना मानवअधिकार व अन्य कानुन का हनन है।  शासन कार्यवाही करेगी ?
यहां बता दें कि विगत 11 जून को भी शिकारपुर थाना क्षेत्र के पकड़ीढाला निवासी विचाराधीन कैदी कलामुद्दीन ने भी जेल के भीतर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। कलामुद्दीन चोरी के मामले में जेल में बंद था। कलामुद्दीन की मौत के बाद कैदियों ने जेल में जमकर हंगामा किया था।

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