कहने को है बेतिया नगर निगम पर लोगों को पैदल चलने की जगह जैसी मूलभूत सुविधा नहीं-दोषी कौन

बेतिया नगर निगम को नगर परिषद से पदोन्नत हुए  दो साल से ज्यादा हो गए परंतु इस नगर निगम के बनाने की बाद भी जनता की मूलभूत सुविधाओ पर गौर करे तो शायद ही कोई बाद बदलाव हुआ नजर आता है । अगर रंग बिरंगी लाइटों और सफाई के नाम पर करोड़ों के खर्च को छोड़ दें  तो शायद नागरिकों की मूलभूत सुविधाये नदारत ही दिखती है ।भ्रस्टाचार  की स्थति पर नजर डाली जाए तो वास्तविक स्थति किसी से छुपी नहीं है । नगर के सम्मानित पार्षदगण के निवेदन पर नगर आयुक्त के खिलाफ नगर की प्रसिद्ध नेत्री और महापौर ने जांच के लिए पत्र लिखा है । इसके अलावा बेतिया के सांसद संजय जायसवाल ने भी नगर आयुक्त के खिलाफ कड़े शब्दों का प्रयोग कर चुके है। परंतु इन सब बातों के बाद भी नगर आयुक्त द्वारा जनता की मूलभूत सुविधाओ  के प्रति सजग नहीं होना कहीं ना  कहीं नगर निगम अधिकारियों की अकर्मण्यता की और इशारा करता है।

आगे हम आपको बताते है की किन मूलभूत सुविधाओ की जरूरत सर्वप्रथम जनता को होनी चाहिए और नगर निगम के अधिकारिओ  का ध्यान इसपर नहीं है । और मै उम्मीद करता हूँ की अधिकारियों के साथ साथ कर्मठ जुझारू और जनप्रिय सेवक भी इस लेख को पढ़ने के बाद जनता के हित मे मूलभूत सुविधा पूरी करने की माँग करेंगे । हालांकि मुझे पूरा विश्वास है की ऐसा नहीं होगा । 

जनता की मूलभूत सुविधाओ मे से एक है साफ सुथरी और सुंदर सड़के

नगर की जनता जिन सड़कों पर चलती है उन सड़कों को साफ सुथरी सुंदर और चलने लायक बनाना नगर निगम अधिकारियों की जिम्मेदारी होनी चाहिए । परंतु अगर नगर निगम क्षेत्र की सड़कों पर ध्यान दिया जाए तो जिन क्षेत्रों मे नगर निगम की बहुसंख्यक आबादी निवास करती है उन क्षेत्रों को छोड़ सिर्फ अधिकारियों के बहुसंख्यक वाले क्षेत्रों की सड़कों की गुणवत्ता ही इस मानदंड पर नजर आती है । उदाहरणार्थ सर्किट हाउस ,ऑफिसर कॉलोनी न्यू कॉलोनी समहारणालय । अगर घनी आबादी वाले क्षेत्रों जैसे सुवा  बाबू चौक लाल बाजार चौक कमलनाथ नगर चर्च रोड उत्तरवारी पोखरा काली बाग जमादार टोला मित्र चौक कोतवाली चौक खुदाबख्श  चौक आदि क्षेत्रों की सड़कों की स्थिति पर अगर गौर करे तो साफ साफ अंदाज लगाया जा सकता है की ये सड़के नगर निगम इंजीनियरों के भ्रस्टाचार की शिकार है उदहरणस्वरूप पीपल चौक स्थित अप्रोच सड़क का निर्माण जो की बनाने के एक महीने बाद से ही ऊखरने लगी। और इन क्षेत्रों की गलियों की स्थिति तो इससे भी बुरी है। अगर कुछ सड़कों और गलियों का निर्माण निगम द्वारा कराया गया है तो उनमे से कुछ डेढ़ महीने बाद भी उखरने लागि और इसकी शिकायत भी हुई परंतु  शिकायत के बाद महिना बीत जाने के बाद भी वीभाग द्वारा भरस्टाचार की भेंट चढ़ी इस निर्माण के दोषियों पर निगम कोई कार्ववाई क्यू नहीं कर सका इसकी वजह कहीं नया कहीं भरस्टाचार है।

दूसरी मूलबहहुत सुविधा है साफ सुथरी नालियाँ

हालंकी नालियों का निर्माण तो पिछले दो तीन सालों मे बड़े स्तर पर हुआ है परंतु कहने मे कतई शक  नहीं महसूस हो रही की इन नालियों के निर्माण मे भी गुणवत्ता की कमी की किसी गुंजाइश को नहीं छोड़ा  गया है कहीं  नाली से पानी  बाहर बह रहा है तो कहीं नाली पर ढक्कन गायब है तो कहीं कहीं नाली ही गायब है। हालांकि साफ सफाई के नाम पर संसाधनों के लिए नगर निगम ने अच्छी खाशी रकम खर्च की है पर उन संसाधनों पर का प्रयोग और सफफई की स्थति की भी अच्छी नहीं है। 

तीसरी सबसे बड़ी जरूरत है सवच्छ जल

अब इसके बारे मे मुझे कुछ कहने की जरूरत नहीं है इसके लिए भी नगर की सड़कों का सबसे बुरा हाल होने के बाबजूद कितने प्रतिशत लोगों को नगर निगम जल उपलब्ध कर रहा है इसका वास्तविक अंदाज तो नगर निगम के पास भी नहीं होगा। क्यूंकी नगर के हर घर तक जल पहुँचाने का जिम्मा सरकारी एजेंसी के पास है और सरकारी लोगों के काम करने का तरीका उंगली उठाने के लायक नहीं होता । 

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