” अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गैस के बढ़ते दामों के बीच उपभोक्ताओं के गैस के दामों में कमी जनता को चुनावी लॉलीपॉप के रूप मे देखा जा सकता है यही नहीं आने वाले दिनों मे जनता को इस तरह की कई और मिठाइयों के मिलने की प्रबल संभावनाएं है “
एक लंबे समय से भारत में गैस के दाम भारत के गौरव की तरह बढ़ रहे थे। इस सरकार ने कई बार गैस की बढ़ती कीमतों को कंपनियों के नियन्त्रण में बताया था। परंतु क्या वजह है कि जैसे ही लोकसभा की तैयारी शुरू हुई अचानक से सरकार ने ( कंपनियों ने) गैस के दामों में पंद्रह प्रतिशत से ज्यादा की कमी कर दी है। जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पिछले तीन महीनों में प्राकृतिक गैस के दामों में लगभग दो से तीन प्रतिशत की तेजी देखने को मिली है। अब सवाल यह है कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ रही है तो फिर घरेलु गैस कंपनियां दाम घटा क्यूँ रही है।
आपको और आश्चर्यचकित होना होगा कि सितंबर 22 और मार्च 23 के बीच जब अंतरराष्ट्रीय दामों में 75 प्रतिशत से भी ज्यादा कि गिरावट रही उस दौरान भी भारतीय गैस कंपनियां लगातार उपभोक्ताओं के गैस के दामों में बढ़ोतरी करती है। इसीलिये आकड़ों पर गौर करने पर लगा कि गैस के दामों में कमी की बड़ी वजह चुनावी साल होना प्रतीत होता है।
” जनता को चुनावी लॉलीपॉप के रूप मे देखा जा सकता है यही नहीं आने वाले दिनों मे जनता को इस तरह की कई और मिठाइयों के मिलने की प्रबल संभावनाएं है “