आखिर किस लालच में बैरिया अंचलाधिकारी ख़त्म नहीं करना चाहते भूमि विवाद

        ” प्रशासन की कमजोरी कहे या अतिक्रमण करने वाले लोगों की दबंगई अस्सी साल का बुजुर्ग चंपारण में कानून व्यवस्था की स्थिति का जीता जागता उदाहरण है। जो अपनी जमीन को दबंगों से मुक्त कराने के लिये पिछ्ले बारह सालों से छोटे बड़े अधिकारियों के दरवाजे की खाक छान रहा है”

 

      जी हाँ आपने सही पढ़ा बैरिया अंचलाधिकारी द्वारा भूमि विवाद में गरीब पक्ष की मदद ना कर कानून के दायरे मे उलझाये रखा जाता है । आपको बता दे की अगर देखा जाय तो बैरिया अंचलाधिकारी अपने आपको भूमि सुधार उपसमाहर्ता से भी ऊपर मानने लगे है। आपको बता दें की 2012 में भूमि सुधार उपसमाहर्ता ने अंचलाधिकारी को निदेशित किया कि मंगल साह की भूमि को स्थानीय थाना की मदद से अतिक्रमण मुक्त करा पीड़ित को कब्जा दिलाया जाय परन्तु  अधिकारियों के साहस की बात कहे भूमि सुधार उपसमाहर्ता के आदेश को दरकिनार करते हुये 2015 मे अंचलाधिकारी ने बेदखली वाद चलाया और पीड़ित के पक्ष में फैसला दिया परंतु भूमि सुधार उपसमाहर्ता के आदेश का अनुपालन अभी तक नहीं हुआ और पीड़ित थाना और अंचलाधिकारी के कार्यालय का चक्कर लगाता रहा। 

          हद तो तब हुई जब वर्तमान अंचलाधिकारी महोदय ने भूमि सुधार उपसमाहर्ता के साथ ही पुर्व अंचलाधिकारी के आदेश को ना मानते हुये पुनः बेदखली वाद शुरू कर परेशान करना शुरू कर दिया। और इनके समय में अतिक्रमण करने वालों का हौसला इतना बुलंद हो गया कि इन लोगों ने इस जमीन पर दो मंजिला निर्माण करा लिया। हालाँकि अंचलाधिकारी ने मार्च 2022 में ही विपक्षी को कब्जा खाली कर मंगल साह को कब्जा देने का आदेश जारी किया। और विपक्षी को उस आदेश के खिलाफ शायद अपील की राय दे दी जिससे बुजुर्ग का पुनः न्यायालय के चक्कर लगने शुरू हो गए।  जानकारों के अनुसार अगर देखा प्रशासन की कमजोरी कहे या अतिक्रमण करने वाले लोगों की दबंगई अस्सी साल का बुजुर्ग चंपारण में कानून व्यवस्था की स्थिति का जीता जागता उदाहरण है। 

 

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