” प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित नौ दिवसीय अलविदा तनाव कार्यक्रम का आयोजन किया गया है । जिसमे पूनम बहन द्वारा नौ दिनों मे यह बताया जाएगा की कैसे आप अपने जीवन को तनाव मुक्त जिया जा सकता है । पूनम बहनजी द्वारा नौ दिनों मे भिन्न भिन्न तरीके बताकर यह बताया जाएगा की कैसे आप अपने आपको तनाव मुक्त बना सकते है। अलविदा तनाव सेमिनार के उद्घाटन के बाद बेतिया के जिला सत्र नयाधिश श्री त्रिलोकि दुबे जी ने कहा की आज हमारा समाज इत्नना विकशित होने के बाद भी बेटी और बेटों में फर्क करता है। मुख्य अतिथि जिला पदाधिकारी ने कहा कि आज के अलविदा तनाव सेमिनार में पूनम बहन जी द्वारा बताया गया तनाव मुक्त रहने के उपाय को हमे अपने जीवन में ज़रूर धारण करनी चाहिए । माननीय महापौर ने पूनम बहन का स्वागत करते हुए ये कहाँ की आज समाज में हर आदमी अपने छेत्र में अच्छा करना और बनना चाहता है -लेकिन इसी भाग -दौड़ में ओ तनाव से ग्रसित हो जाता है-यैसे में यहाँ इस अलविदा तनाव में बतायी गई तनाव उन्मूलन की ये बात जीवन में अति लाभदायक सिद्ध होगी ”
आज दिनांक २२ दिसंबर २०२३ -शुक्रवार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के बेतिया शाखा के तत्वाधान में 9 दिवसीय अलविदा तनाव कार्यक्रम का आज विधिवत उद्घाटन बेतिया के जिला सत्र न्यायाधीश श्री त्रिलोकी दुबे जी के द्वारा हुआ।जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में जिलाधिकारी बेतिया श्री दिनेश राय जी उपस्थित रहे।मुख्य वक्ता के रूप में इंदौर से पधारी राजयोगिनी पूनम दीदी जी ने विस्तार से प्रथम दिवसीय कार्यक्रम पर प्रकाश डाली जिसका विषय था चिंता रहित जीवन शैली। ब्रह्माकुमारी पूनम बहन ( सी.एस.) ने “अलविदा तलाव” निशुल्क शिविर के प्रथम दिवस के दिवस के दिव्या उद्ब बोधन में कहीं आगे अपनी बताया कि दो प्रकार के मैं होती है ( 1) बाहरी मन (कांशियस माईड)व(2) अंतर मन ( सबकॉन्शियस माइंड) अंतर्मन आज्ञाकारी सेवक होता है उसको जो संकल्प बार-बार देंगे वह पूरा कर देता है जब हम सुबह सूर्योदय से पूर्व ब्रह्ममुहूर्त में सोकर उठते हैं तो शुरू के 20 मिनट हमारा अंतरमन जगा रहता है उसे समय जो विचार उसमें डाल देंगे तो वह तथास्तू कर देगा उन्होंने कुछ विचारों का अभ्यास करते हुए घर में कराते हुए घर में करने के लिए कुछ विचार नोट भी करवाये(1) मैं टेंशन फ्री हूं मेरा जीवन विघ्नों तनाव और समस्याओं से मुक्त है नो प्रॉब्लम(2) मैं बहुत सुखी हूं (3) मैं सर्वशक्तिमान परमात्मा की संतान हूं सभी समस्याओं तनाव दुखों बीमारियों से भी अधिक शक्तिशाली मैं हूं ( 4) मैं भाग्य विधाता आप का बच्चा बहुत भाग्यवान हूं ऐसा सोचने से भाग्य के सितारे खुल जाएंगे ( 5) परमपिता प्रभु परमात्मा के आशीर्वाद का हाथ मेरे सिर पर है ईश्वर की शक्तियां मुझ में समा रही है ईश्वर की शक्ति के प्रभामंडल मंडल के अंदर में सुरक्षित हूं उनका वरदान है सफलता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है यह विचार सफलता के सारे दरवाजे खोल देगा ।