आखिर बेतिया नगरनिगम का भ्रस्टाचार क्यूँ नही रोकना चाहते अधिकारी

                                        बेतिया नगर निगम का भ्रस्टाचार क्यूँ नहीं रोकना चाहते है निगम के अधिकारी क्या उनकी अवैध कमाई का जरिया है यह भ्रस्टाचार सवाल तो बहुत है पर कौन देगा जवाब आखिर जनता क्यूँ नहीं माँगती जवाब आखिर जिन जनप्रतिनिधियों को जनता ने चुना है वो क्यूँ है बेबस इन अधिकारियों के आगे।

                       बेतिया नगर निगम के अधिकारियों द्वारा भ्रस्टाचार पर अंकुश नहीं लगा पाना कहीं ना कहीं भ्रष्टाचारियो से उनके बेहतर रिश्ते की तरफ इशारा करता है। और बेहतर रिश्ते निभाने की बजह से ही अधिकारियों को इनका भ्रस्टाचार दिखाई नहीं देता। अगर सूत्रों की बात का विश्वास करे तो नगर निगम के निर्माण कार्यों के लिये जो राशि खर्च की जाती है उसका एक बड़ा हिस्सा कमिशन के रूप मे बाँट लिया जाता है परंतु इसकी सच्चाई क्या है यह तो अधिकारी ही जाने परन्तु जिस हिसाब से घटिया निर्माण हो रहा है वह सूत्रों के दावों को बल प्रदान करता है। 

        ताजा उदाहरण वार्ड नंबर 6 का है जहां लगभग दस लाख रुपये से बनी सड़क महीनों भी नहीं चली और महीने बीतने से पहले यह सड़क उखड़ने लगी। परन्तु किसी भी अधिकारी ने इसकी वज़ह जानने की कोशिश नहीं की और क्यूँ करे जब उसे इसकी असली वजह क्या है। इस सम्बन्ध मे जब वार्ड के पार्षद ज़ीनत परवीन से सम्पर्क करने की कोशिश की गई तो उनका फोन भी अधिकाँश महिला वार्ड पार्षद की तरह उनके पति ने उठाया और वो हमे कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दे सके। ऐसा प्रतीत हुआ कि वो भी भ्रष्टाचारियो को बचाने में लगे दिखे आखिर इसकी वजह का अंदाजा हमे हो गया।

        इस सम्बंध में जब सशक्त कमिटी के एक पार्षद से बात की गई तो उन्होंने साफ़ साफ़ शब्दों मे कहा कि अब हमलोग आवाज नहीं उठा सकते है हमलोग आवाज उठाते है तो हमारे लोगों को परेशान किया जाता है पूरे नगर निगम के भ्रस्टाचार को रोकने में हम लोग असक्षम है। उन्होंने बताया कि खुद हमारे वार्ड में होने वाले घटिया निर्माण पर आवाज उठाने पर हमे परेशान किया जाता है।

 

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