जिले मे आये दिन अवैध मेडिकल संस्थानों ( नर्सिंग होम जांच घर दवा दुकान इत्यादि) की खबरें मीडिया मैं छाई रहती हैं परंतु क्या वजह है कि सिविल सर्जन कार्यालय द्वारा सिर्फ कार्रवाई का दिखावा किया जाता है। देखा जाय तो सिर्फ इसी साल दर्जनों ऐसे मामले सामने आ चुके है जबकि सामने आने वाले मामलो की संख्या बहुत ही कम है।
जानकारों की बात का विश्वास करें तो सिविल सर्जन द्वारा इस सम्बन्ध मे कोई ठोस कार्रवाई नहीं किये जाने की मुख्य वजह इन अवैध संचालको से विभाग को मिलने वाली मोटी रकम है। हालांकि किसी भी ऐसे लेनदेन का साक्ष्य सामने नहीं आया है परन्तु जिस हिसाब से इतनी बड़ी संख्या मे अवैध संस्थान बिना रोक टोक के चल रहे है और उनपर कार्यवाही नगन्य है उससे इन आरोपों से इंकार नहीं किया जा सकता।
हालाँकि समय समय पर इनकी जाँच विभाग द्वारा की भी जाती है परन्तु जाँच मे आज तक शायद किसी को दोषी पाया हो। माना जाता है की इन सबके पिछे कार्यालय मे लम्बे समय से डटे कर्मियों का हाथ है। एक चतुर्थवर्गीय कर्मी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया की जो कर्मी इस कार्यालय को चलाते है उनका कहना है की कोई काम हो तो हमसे मिलो सिविल सर्जन तो कितने आये और कितने गये। अगर देखा जाय तो यह बात तो सही है की कई ऐसे कर्मी विभाग को चला रहे है जिनके सामने कितने ही सिविल सर्जन आये और चले गये।