कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा लंबित भुगतान और योजनाओं की स्वीकृति में देरी को लेकर पार्षदों ने सामान्य बैठक का बहिष्कार किया। डी डी सी द्वारा पार्षदों से बैठक मे भाग लेने के अनुरोध का नहीं हुआ कोई असर।
शुक्रवार को जिला परिषद के सभागार में हुई बैठक का पार्षदों ने सर्वसम्मति से बहिष्कार किया। आरोप लगाया कि 15वां वित्त आयोग, षस्टम वित्त आयोग, पंचम वित्त आयोग मद में विकास कार्यों के लिए 67 करोड़ रुपए बिना उपयोग के पड़ी है। लेकिन योजनाओं की स्वीकृति और पूर्ण योजनाओं का भुगतान 3 वर्षों से लंबित है। मजदूरों का भुगतान भी लगभग 3 वर्षों से लंबित है।वित्तीय वर्ष 2022_2023 और वित्तीय वर्ष 2023-2024 मे जो विकास कार्य कराए गए हैं उसका भी भुगतान नहीं हो रहा है। पूर्व की बैठकों में जो मुद्दे सदन में उठाए गए थे। उसका भी अनुपालन नहीं हो रहा है। अधिकांश जिला स्तरीय पदाधिकारी बैठक में अनुपस्थित रहते हैं।
परिषद के योजनाओं के जिला पार्षदों के बहिष्कार के कारण सदन में थोड़े समय के लिए अफरा तफरी मच गई। विरोध करने वालों में मुख्य रूप से जिला परिषद के अध्यक्ष निर्भय कुमार महतो, पूर्व जिप अध्यक्ष अमर यादव, पूर्व जिप अध्यक्ष शैलेंद्र कुमार गढ़वाल, जिला परिषद क्षेत्र संख्या 12 के पार्षद सुनीता देवी, पूर्व उपाध्यक्ष संतोष कुमार राव उर्फ बबलू सिंह, लाल बाबू चौधरी, मनोज कुशवाहा, सरफुद्दीन उर्फ टेनी, बृज बिहारी यादव, जगन्नाथ यादव, अजय कुशवाहा, फूलमती देवी समेत कई सदस्य उपस्थित थे।
सदस्यों के विरोध पर उपविकास आयुक्त सह जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी प्रतिभा रानी ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की उन्होने उपस्थित सदस्यों से कहा कि वे बैठक को सुचारू रूप से चलने दे उनकी सभी समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान कर लिया जायेगा परंतु पार्षद तनिक भी टस से मस नहीं हुये। उन्होने समझाया कि चुनाव आचार संहिता के कारण योजनाओं के स्वीकृति और भुगतान में विलंब हुआ है। कुछ योजनाएं स्वीकृत की गई है। शेष बचे योजनाओं की स्वीकृति और लंबित भुगतान जुलाई माह में नियमानुसार कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पार्षदों की मांग थी कि एनओसी प्रखंड स्तरीय पदाधिकारी के बजाय जिला स्तरीय पदाधिकारी से दिलाई जाए। इस पर पहल की जाएगी।