वैसे तो सर्वविदित है कि नगर निगम की कार्यशैली हमेशा संदेहास्पद रही है और इसमें सभी एक दूसरे पर भ्रस्टाचार के आरोप लगाते रहते है। महापौर द्वारा अक्सर अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाया जाता रहा है इसी क्रम में महापौर ने नये आयुक्त को कड़े शब्दों मे पत्र लिखकर कार्यशैली पर खेद जाहिर करते हुए सुधार का निर्देश दिया है।
महापौर ने इस सम्बंध में लिखे पत्र में स्थिति और प्रशासनिक उदासीनता का विस्तार से उल्लेख करते हुये स्पष्ट किया है कि विभागीय आदेश के आलोक में नगर निगम की सशक्त स्थयी समिति द्वारा भ्रष्टाचार मुक्त सफाई व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए दो दो बार निर्देशित किया है। उन्होंने नगर आयुक्त श्री सिंह को स्मारित करते हुए बताया है कि विगत 20 नवंबर 2024 को संपन्न बैठक के बाद सर्व सम्मति से हुए निर्णय में एक दिसंबर 2024 से ही “पगार” ऐप आधारित बायोमेट्रिक हाजिरी और सफाईकर्मी की पहचान के आधार पर ही मानदेय भुगतान का निर्णय हुआ था।
परन्तु इसके बावजूद अब तक नगर निगम के अधिसंख्य वार्डों की साफ सफाई व्यवस्था में बड़े पैमाने पर धांधली और लुट बेरोक टोक जारी है। महापौर सिकारिया ने लिखा है कि नगर निगम के सफाई कर्मियों की हाजिरी अचूक रूप से”पगार” ऐप पर आधारित और बायोमेट्रिक अटेंडेंस का सक्षम सत्यापन के बाद ही सफाईकर्मियों के मानदेय राशि का भुगतान किया जाय। निर्णय के चार महीने बाद भी निर्णय को लागू नहीं किया जा सका है। अपने पत्र की प्रति श्रीमती सिकारिया द्वारा जिलाधिकारी और विभागीय प्रधान सचिव को भेज कर नगर निगम क्षेत्र की साफ सफाई व्यवस्था में मची लाखों की लूट पर संज्ञान में लेने का अनुरोध किया है।