क्या चार खुदरा दुकानदारों को निलंबित कर बड़े कालाबाज़ारियो को बचाने की कोशिश

                    विभागीय उदासीनता का परिणाम है कि मक्का बीज के बाद  उर्वरकों की कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।

 खाद की कालाबाज़ारी और किसानो की परेशानियां  सुनील दुबे की नज़र मे……

                  विभागीय कार्यवाही की बानगी यह रही की मक्का बीज के एक विक्रेता पर कागजी कार्यवाही तो उर्वरकों के कालाबाजारी के आरोप में चार दुकानदारों के अनुज्ञप्तियो को निलंबित किया गया। एक बात यह भी है की अधिकारी किसानों की शिकायतों के इंतजार में बैठे हैं और किसान खेती करें या शिकायत……

पश्चिम चंपारण में मक्का बीजों की जमकर हुई कालाबाज़ारी के बाद उर्वरकों की कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। किसानों के हितो की बात करने वाले बहुत है परन्तु उनकी परेशानी को देखने वाला कोई नहीं हैं। खाद एवं बीज की कृत्रिम किल्लत ने किसानों को कालाबाज़ारियो के हाथो खरीदारी करने को मजबूर कर दिया है। यही नहीं उर्वरकों को तस्करी मार्ग से नेपाल के बाजारों में भेज कर अधिकाधिक कमाने की होड़ लगी हैं और इधर इस जिले के किसानों को पर्याप्त मात्रा में उर्वरक नहीं मिल पा रहा हैं और अगर मिल भी रहा हैं तो एम आर पी दर से अधिकाधिक दर में। नतीजा यह हैं कि किसानों को उत्पादन की लागत बढ़ रही है।

                 आपको बता दें की कीसानों के बुते ही भारतीय खाद्यान्न रीढ़ बज़बूत है लेकिन विभागीय उदासीनता से इस जिले के किसानों का रीढ़ की हड्डी टूट रही हैं।

            इस सम्बन्ध मे जब जिले के एक अख़बार चाणक्य भूमि ने दिसंबर माह के दूसरे सप्ताह में ” विक्रेता और अधिकारियों के गठजोड़ से टूट रही हैं जिले की किसानों की कमर”शीर्षक से मक्का बीज की कालाबाजारी की खबर को प्रकाशित किया तब विभाग की तंद्रा टूटी। और खबर के आधार पर जिला कृषि पदाधिकारी ने बेतिया के लालबजार स्थित एक दुकानदार को स्पष्टीकरण देकर कार्यवाही का औपचारिकता पूरी कर ली।

                      इन दिनों उर्वरकों की कालाबाजारी की शहर से लेकर गांव तक जारी हैं। इस कालाबाज़ारी पर विभाग के अधिकारियो ने इतना जरूर किया है कि ,कहीं से पूछे जाने पर वह कह सके, कि कार्यवाही की गई है। कार्यवाही की बानगी यह हैं कि मैनाटॉड के तीन उर्वरक की दुकानें तथा मझौलिया प्रखंड के एक उर्वरक की दुकान को निलंबित कर दिया है। जबकी यह सर्वविदित है की कालाबाज़ारी की शुरुआत थोक विक्रेता के स्तर से शुरू हो जाती है जब इस संबंध में छोटे दुकानदारों से बात की गई कि वह शिकायत क्यों नहीं करते हैं तो उन्होंने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया अगर हम शिकायत करेंगे तो हमें माल मिलना बंद हो जाएगा। तात्पर्य यह है कि मछली के शिकार में बड़ी मछली को नजरअंदाज कर दिया गया और दिखावे के लिए छोटी मछली का शिकार कर लिया गया। हालाँकि दुकानदारों के आरोप मे कितना दम है यतो विभागीय जांच में ही स्पष्ट हो पाएगा और विभागीय जांच की स्थिति किसी से छुपी नहीं है।

                   हालाँकि विभागीय जाँच मे यह स्पष्ट हुआ हैं कि, उर्वरक की  विक्री मे गड़बड़ी है। चूंकि जिन चार उर्वरक विक्रेताओं की अनुविज्ञति निलंबित विभाग द्वारा की गई हैं उन पर आरोप लगा है कि एक किसान को दस बोरा डी ए पी दिया गया हैं। अगर यह सत्यता की कड़ी में हैं तो यह भी सत्य ही हैं कि ऐसे ही भारतीय उर्वरक नेपाल के बाजारों में तस्करी मार्ग से जा रहे हैं। लेकिन इस छोटी सी कार्यवाही से किसानों को राहत नहीं मिल पाएगी, जबतक कि व्यापक कार्यवाही की कार्ययोजना तैयार कर दमदार ढंग से अभियान के तौर पर कार्यवाही न की जाय।

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