शिक्षाविद, स्तंभकार, लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार सुनील दुबे की कलम से
महाकुंभ में मौनी अमौसया के दिन संगम में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती हैं, वही पाप कर्म के विचार भी धूल जाते हैं।
लगभग डेढ़ सदी के लंबे अंतराल के बाद तीर्थराज प्रयागराज में महाकुंभ लगा हुआ हैं। इस महाकुंभ की खासियत यह हैं कि, यह राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का धार्मिक मेला बन गया हैं। महाकुंभ की महता की प्रबलता एवं इसके आध्यात्मिक सबलता ने सिर्फ देश ही नहीं विदेशों को भी आकर्षित किया हैं। नतीजा हैंकि महाकुंभ में हिस्सा लेने तथा संगम में स्नान करने के लिए विदेशों से भी झुंड के झुंड श्रद्धालु आ रहे हैं l इस महाकुंभ काल में 29 जनवरी का दिन और भी मत्वपूर्ण हो गया हैं। इस दिन मौनी अमावस्या हो रहा हैं। माघ मास का मौनी अमावस्या वह भी महाकुंभ के अवधि कल में आध्यात्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जाता हैं l वैसे प्रतिवर्ष पौष -माघ के अमावस्या पर संगम, त्रिवेणी घाट, गंगा आदी नदियों में सनातन धर्मानुसरा स्नान करने, स्नान के उपरांत तटीय शिव मंदिर में महादेव का जलाभिषेक करने तथा दान उपादान करने की परंपरा सदियों से चली आ रही हैं। अमावस्या स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ क्षेत्रीय स्तर पर वहां के प्रचलित नदियों, खासकर वैसी नदियां जो गंगा में जाकर मिल जाती हैं , उसमें भी जाकर स्नान करते हैं और दान उपादान करते हैं l इस अवसर पर लाखों की संख्या में हरिद्वार, नासिक, उज्जैन, ओंगकालेश्वर, गोदावरी, पटना के पहलेजा घाट, पश्चिम चंपारण के वाल्मिकीनगर त्रिवेणी, गंगा सागर आदि प्रसिद्ध नदी घाटों पर पहुंचते हैं और स्नान करते हैं। अगर वहां की नदी गंगा नहीं भी हैं तो भी गंगा के नाम से डुबकी लगाते हैं। वह इसलिए की कही न कहीं इस नदी की बहती जल धारा गंगा में तो मिलेगी ही। मान्यता यह हैं कि इस दिन का नदियों का स्नान गंगा स्नान ही माना जाता हैं। गंगा नदी तट तक नहीं जाने वाले किसी भी बहती धारा वाले नदियों में स्नान कर अपने को धन्य कर लेते हैं। जो इस अवसर पर किसी भी कारण से इच्छा रहते हुए भी महाकुंभ नहीं जासकेंगे वैसे लाखों लोग अपने सुविधानुसार विभिन्न नदियों में स्नान करने जाएंगे ही जाएंगे।
प्रयागराज के महाकुंभ में मौनी अमावस्या का स्नान
महाकुंभ के अवसर पर मौनी अमावस्या को प्रयागराज के गंगा नदी में स्नान अपने आप में धार्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्व रखता हैं l इस दिन सूर्य के साथ चंद्रमा, एवं शुक्र – बुद्ध की संयुक्त स्थिति हैं, जो ग्रह गोचर दृष्टि से काफी शुभ है l इस दिन सूर्य मकर राशि में रहेंगे, जो ज्योतिषीय गणनानुसार काफी महत्वपूर्ण हैं l चूंकि मकर राशि के सूर्य काफी शुभ एवं सुखद फलदाई होते हैं । ऐसी मान्यता है कि मन चित से स्नान करने के उपरांत उसी जल से उन्हें अर्घ्य प्रदान करने वालों को वे उनकी मन इच्छाओं को पूरा करते हैं । इस तिथि को चंद्रमा कुंभ राशि के साथ हैं। धार्मिक दृष्टि से यह संयोग काफी उत्तम हैं। मान्यता हैं कि इस दिन चंद्रमा के कुंभ के साथ संयोग भाव में रहने से महाकुंभ स्नान करने वालों को बिन मांगे बहुत कुछ दे देंगे। कुंभ के चंद्रमा मानवीय शीतलता तो प्रदान करेंगे ही साथ ही शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य वर्धन भी करेंगे l इस अवसर पर महाकुम्भ स्नान करने वालों को मानसिक रूप से सबलता तो वे प्रदान करेंगे ही साथ ही मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति को स्वस्थ हो जाने की प्रबल संभावना रहेगी। इस दिन ग्रह देव बुद्ध एवं शुक्र दोनों ही शुभ भाव में हैं l महादेव के जटाशिख से निकलने वाली गंगा में स्नान करने वालों पर इन ग्रहदेवों की असीम कृपा रहेगी। उनके मनवांछित फल प्राप्त होंगे। ऐसी मान्यता हैं कि समुद्र मंथन में निकलने वाले अमृतकलश से अमृत के कुछ बूंदे छलक कर यही पर गिर गए थे, इस कारण ही यह स्थान तीर्थ राज प्रयागराज कहलाता हैं। धर्म ज्ञाताओं, विद्वानों का मानना हैं कि महाकुंभ के अवसर पर देवराज इंद्र अमृतकलश से अमृत छलकने की स्मृति में मौनी अमौसया के ब्रह्म बेला में ओस की बूंदों के रूप में अमृत की बूंदे गंगा में डालते हैं जिससे कि स्नान करने वालों की पापे धूल जाती हैं। इसी दिन स्नान करने का एक खास महत्व धार्मिक दृष्टिकोण से यह भी है कि, पितृदोष का निवारण हो जाता हैं l आम जीवन में बहुत लोग पितृदोष से ग्रसित होते हैं, नाना प्रकार की परेशानियां झेलते हैं l वैसे लोगों के लिए तो यह स्नान अमृत स्नान ही हैं।
उनके यह दोष खत्म हो जाते हैं, उनके जीवन में खुशहाली आ जाती हैं। यही नहीं इस दिन गंगा स्नान करने वालों को उनके पित्रों द्वारा आशीर्वाद भी प्राप्त होता हैं। उनके जीवन के कर्म भाग उनके आशीर्वाद से आगे बढ़ने लगते हैं। मौनी अमावस्या के दिन स्नान के उपरांत दान पुन का भी बहुत महत्व हैं। बेतिया के विपिन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के सेवा निवृत प्राचार्य एवं इतिहासविद माधवेंद्र दत्त द्विवेदी कहते हैं कि प्रयागराज भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के अनमोल धरोहर के रूप में मौनी अमावस्या के दिन प्रयलक्षित होता हैं। सनातन धर्मानुसरा भारतीय हिंदू धर्म के लाखों लोग अपने पित्र पूर्वजों को श्रद्धा और भक्ति के साथ पिंड पूजन भी करते हैं। ऐसी महिमामय पितृपूजन कही और देखने को नहीं मिलती।
ऐसा माना जा रहा हैं कि मौनी अमावस्या के दिन लगभग दस करोड़ श्रद्धालु महाकुंभ के इतिहास में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे।