अगर परीक्षार्थी पाँच मिनट लेट तो उसकी मेहनत बेकार

           पांच से दस मिनट के अंदर का लेट परीक्षार्थियों का एक वर्ष का समय नुकसान कर जाता हैं, इस दंस को झेल रहे हैं मैट्रिक एवं इंटरमीडिएट के परीक्षार्थी

सुनील दुबे की कलम से एक खास रपट

इंटरमीडियट की परीक्षा प्रारंभ हो गई है। मैट्रिक की परीक्षा फरवरी के मध्य से शुरू होगा। कदाचारमुक्त परीक्षा के लिए प्रशासन की सख्त व्यवस्था हैं। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के नियमों के तहत परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा संचालित की जा रही है। नियमानुसार परीक्षा प्रारंभ होने के पूर्व परीक्षार्थियों की अच्छी तरह से जांच पड़ताल करने के उपरांत उन्हें परीक्षा केंद्र में प्रवेश देना है। परीक्षा प्रारंभ हो जाने की घंटी बजाने के बाद परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्र के अंदर प्रवेश नहीं दिया जा सकता है। परीक्षार्थियों के परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने के लिए पूर्व में आधे घंटे की छूट हुआ करती थी। बाद में विलम्ब से आने वाले परीक्षार्थियों के लिए 10 मिनट लेट की स्वीकृति थी। बाद में प्रश्न पत्रों के लीक होने के मामले जब सामने आने लगे तो बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने इस संदर्भ में विशेष गहन छानबीन एवं जांच पड़ताल के उपरांत, यह माना कि प्रश्न पत्रों के लीक होने के कारणों में एक कारण परीक्षार्थियों का लेट आना भी है। उनके लेट आने का कारण यह होता है, कि वे साइबर कैफे आदि जगहों पर लिक प्रश्न पत्रों का इंतजार करते रहते हैं, जिस कारण से वे परीक्षा केंद्र पर लेट से पहुंचते हैं l पूरी तरह से जांच परख करने, परीक्षा विशेषज्ञों से राय परामर्श लेने के उपरांत बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने परीक्षा प्रारंभ होने के बाद परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्र में प्रवेश लेने पर प्रतिबंध लगा दिया। यह नियम ब दस्तूर जारी हैस्वच्छ परीक्षा के लिए यह नियम बिल्कुल ठीक है।

          लेकिन विषम परिस्थितियों में परीक्षार्थियों के लेट से पहुंचने पर उनके परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने पर भी विचार करना चाहिए। ऐसा प्रायः देखा जाता है,कि किसी-किसी परीक्षा केंद्र पर एक दो परीक्षार्थी दौड़ते हाफते हुए आते हैं और परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने के लिए मिन्नत पर मिन्नत करते हैं, लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाता है। विलंब का समय मुश्किलन दो से 5 मिनट या 10 मिनट के अंदर ही होता है। वह परीक्षार्थी रो-रो कर बेहाल हो जाता है। उसकी सुनने वाला कोई नहीं होता है। क्या इस पर गौर नहीं किया जा सकता? कि किस कारण से वह परीक्षार्थी लेट हुआ है। लेट होने का कारण परीक्षा केंद्र से उसका आवासन ज्यादा दूरी का होना, जाम में फस जाने से, साइकिल या कोई अन्य सवारी के खराब हो जाने के कारण या छोटी बड़ी दुर्घटना हो जाने के कारण वह बच्चा समय पर परीक्षा केंद्र पर नहीं पहुंच सका। इसके लिए भी सरकार को खासकर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को सोचने की आवश्यकता है। ऐसी परिस्थितियों में जब किसी परीक्षार्थी का परीक्षा छूटता है, तो यह समझिए वह आकाश से सीधे जमीन पर गिरता है। ऐसे परीक्षार्थियों की मानसिक स्थिति असंतुलित भी हो सकती है। ऐसी कई घटनाएं सुनने को मिली है, कि ऐसे परीक्षार्थी गलत कदम भी उठा लेते हैं।ऐसी घटनाओं की खबरें अखबार आदि में प्रकाशित होते रहे हैं। दुखद पहलू तो उस समय दृष्टिगोचर होता है, कि जिस परीक्षा केंद्र पर 2 से 5 मिनट के लेट आने पर परीक्षार्थी को वापस कर दिया जाता है, वही उस केंद्र पर प्रतिनियुक्त अगर कोई वीक्षक 10 से 30 मिनट भी विलंब से आता है तो उसे प्रवेश दे दिया जाता है।

                 पिछले परीक्षाओं में यह भी देखा गया है कि परीक्षा पर प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी या पदाधिकारी अगर किसी कारणवश वे विलंब से आते हैं तो उनका प्रवेश दे दिया गया है। ऐसे में क्या यह न्याय संगत है? सुबह के बेला में प्रथम पाली की परीक्षा देने के लिए परीक्षार्थियों में आपाधापी की स्थिति रहती है। पुलिस की नियंत्रित व्यवस्था काफी चौकस होने के बावजूद भी जाम की स्थिति को परीक्षार्थियों को झेलना ही पड़ता है। परीक्षार्थियों का झुंड एवं आमजन की दैनिक सड़क यात्रा संगम की भीड़ जैसी ही हो जाती है। शहर के अंतर्गत के केंद्रों पर भीड़ -जाम से परीक्षार्थी सहित आम जन परेशान होते नजर आते हैं। इसका कारण शहर के अंतर्गत की सड़कों का संगक्रिनता हैं। ऐसे हालातो में इसका समाधान सब्र के आलावा दूसरा कुछ नहीं हैं। इसी सब्रता में कुछ बच्चे समय की पाबंदी में आकर परीक्षार्थी से वे बे परीक्षार्थी होकर रह जाते हैं। दूर दराज से आकर परीक्षा की अवधि तक शहरों में रहने की व्यवस्था भी उनकी परेशानी का कारण बनता है। गांव देहात की छात्राएं तो और भी परेशानी झेलती है। बहुत से अभिभावक तो साइकिल पर उन्हें ढो कर लाते हैं और केंद्र तक पहुंचाते हैं, ऐसे में कभी किसी कारण से विलंब हो जाते हैं तो, केंद्र पर पहुंच कर भी वह परीक्षार्थी अनुपस्थित हो जाता है।

           हाल ही में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा एक सूचना जारी की गई है कि, जिनकी भी परीक्षाएं किसी भी कारण से छूट गई है तो उनके लिए अप्रैल माह में विशेष परीक्षा होगी। यह अच्छी बात है, लेकिन जिन परीक्षार्थियों का, जिनकी संख्या गिनी चुनी ही होती है, 2 से 5 यानी 10 मिनट के अंदर की अविलंब से परीक्षा छूट जाती है, उनके लिए तो यह बहुत ही बुरी और बड़ी बात है। वे सामान्य परीक्षार्थियों की भांति की श्रेणी में अपने को ला नहीं पाते हैं। रेगुलर वे की परीक्षार्थियों का परीक्षा फल प्रकाशित होने के बाद ही उनका परीक्षा फल प्रकाशित होता है। स्वाभाविक रूप से अगली कक्षाओं में नामांकन लेने में पिछड़ जाते हैं। उनका भविष्य अंधकारमय जैसी हो जाती है। इन तमाम परिस्थितियों और हालातो को देखते हुए सरकार को भी इस संदर्भ में कुछ ठोस निर्णय लेने की जरूरत है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को भी अपने इन जैसे परीक्षार्थियों के प्रति सहानुभूति रखते हुए परीक्षा संचालन विधि में इनके लिए कुछ राहत भरी नियमों को लाने की आवश्यकता है।

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