गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज का नाम महारानी जानकी कुँअर करने का स्वास्थ्यमंत्री ने विधायक उमाकांत सिंह को दिया अश्वासन
सुनील दुबे की कलम से
पश्चिम चम्पारण का बेतिया स्थित सदर अस्पताल, जो महारानी जानकी कुँअर अस्पताल हुआ करता था, मेडिकल कॉलेज बनने के बाद से अस्पताल का स्वरूप तो बदल गया लेकिन इसके साथ साथ महारानी जानकी कुँअर का नाम विलोपित हो गया। अस्पताल की फाउंडर बेतिया राज की अंतिम रानी महारानी जानकी कुँअर के नाम पर यह अस्पताल स्थापित हुआ था। महारानी की इच्छा थी कि बेतिया का यह अस्पताल मेडिकल कॉलेज बने। इसके लिए उन्होंने धन राशि भी सुरक्षित किया, लेकिन उनके जीवन काल में उनका सपना साकार नहीं हो सका। लम्बे संघर्ष एवं मांगों पर सरकार ने इस अस्पताल को मेडिकल कॉलेज के रूप में परिवर्तित कर दिया, लेकिन अस्पताल के नाम से महारानी के नाम को विलोपित कर दिया गया। महारानी जानकी कुँअर के स्थान पर राजकीय शव्द लगा दिया गया हैं। अब इसक नाम “राजकीय चिकित्सा महाविद्याल एवं अस्पताल” रख दिया गया है। नाम से महारानी का नाम गायब हो गया, इसके लिए जनप्रतिनिधियों की आवाज अवरुद्ध हो गयी। महारानी का नाम क्यों हटा इसकी खोज बीन होनी चाहिए थी क्या किसी साजिश के तहत महारानी का नाम विलोपित कर दिया गया? लेकिन जनप्रतिनिधि इस विषय पर जागरूक होते हुए नहीं देखे गये। हाँ आम जन द्वारा महारानी का नाम पर ही इस अस्पताल का नाम करने की मांग लगातार होती रही हैं। पिछले वर्ष बेतिया की महापौर गरिमा सिकारिया ने बुलंद आवाज़ में महारानी के नाम पर अस्पताल का नाम करने के लिए मांग पत्र के माध्यम से आवाज उठायी थी।
चूँकि अब माहौल धीरे धीरे चुनावी होता जा रहा है और इसी को देखते हुये चनपटिया के भाजपा विधायक उमाकांत सिंह ने पिछले 27 मार्च को विधानसभा में महारानी के नाम पर इस मेडिकल कॉलेज का नाम रखने का जोरदार आवाज उठाया। अपने इस मांग के समर्थन में नियमसंगत तर्कों को भी रखा। उमाकांत सिंह के मांग पर सरकार के स्वास्थ्यमंत्री ने सदन में घोषणा किया कि श्री सिंह के मांग के आलोक में सरकार सकारात्मक कार्यवाही करेगी। उमाकांत सिंह के इस कृत की प्रशंसा बुद्धिजीवी वर्ग में की जा रही हैं।