बेतिया राज के अधिकारियों द्वारा सुविधाओं का लाभ उठाकर नहीं की जाती सम्पत्ति की रक्षा लेन देन से इंकार करते है फिर किस लालच में अरबो की संपत्ति को लूटपाट करने पर चुप रहते है
बेतिया राज के अधिकारियों द्वारा भले ही वेतन सरकार से लिया जाता हो परंतु भ्रस्टाचार मे आकंठ तक डूबे अधिकारियों की थोरी भी मंशा बेतिया राज की सम्पत्ति को बचाने की नहीं होती ब्लकि अधिक से अधिक इसको लूट जाने देने की होती है ।
बेतिया के राज प्रबंधक विनोद सिंह की बात ही निराली है ये शायद अकेले ऐसे प्रबंधक है जो खुद मानते है की इनके हाथों मे कोई ताकत नहीं है इनके कार्यरत रहते भूमाफिया को बेतिया राज की भूमी पर कब्जा करना और उसपर अट्टालिकाओं का निर्माण कर लाखों करोड़ों की राशि का बंदरबांट कर लेने का खेल खूब चल रहा है।
जबकी प्रबंधक द्वारा साफ़ साफ़ इन्कार किया जाता परंतु उनके मिलीभगत के बिना करोड़ों रुपये का लेन देन संभव नहीं है।