काश उसने जिंदगी का वह सुन्दर गीत सुना और अमल किया होता जिसे सत्तर के दशक मे लता मंगेशकर ने गाया था तो “आज उसे यह दिन नहीं देखना पड़ता।
छोर दे सारी दुनिया किसी के लिये ।
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिये ।।
प्यार से भी जरूरी कई काम है ।
प्यार सबकुछ नहीं जिंदगी के लिये ।।”
सोमवार की सुबह गोविंद गंज का युवक बानु छापर निवासी अरुण कुमार के घर में कुरियर वाला बनकर अपने प्यार के सनक मे एक बड़ी घटना को अंजाम देने के लिये देनें के लिये घुस गया सही समय पर सूचना और पुलिस के बेहतरीन प्रदर्शन और कार्यशैली के कारण नगर मे एक बड़ी दुर्घटना होने से बच गई। घर में घुसे युवक को पुलिस ने काफी मशक्कत के बाद गिरफ्तार किया गिरफ्तार अपराधी (सिरफिरा आशिक) के पास से एक पिस्टल मैगजीन 5 गोली रस्सी तार लाइटर आदि समान बरामद की है बरामद गोली पर परिवार के सदस्य नाम भी लिखा था और एक गोली पर अपराधी ने अपना नाम लिख रखा था अगर पुलिस दल ने साहस और सूझ बुझ से इस मामले का पटाक्षेप नहीं किया होता तो युवक द्वारा बडे हादसे को अंजाम दिया होता
अगर इन बातों पर गौर करें तो इसे कहानी इश्क प्यार और बेवफाई की जहाँ लड़के ने पहले तो जम कर प्यार किया और प्यार भी इतना की प्यार के लिये सरकारी नौकरी पाने के लिये जी जान लगा दिया परंतु प्यार पाने के लिये वह अपराधी बन बैठा इस युवक के जुनून को देखते हुये हम ऐसे युवाओं से आग्रह करेंगे की एक बार सत्तर के दशक मे आयीं फिल्म सरस्वतीचंद्र का यह गाना जरूर सुने
छोर दे सारी दुनिया किसी के लिये ।
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिये ।।
प्यार से भी जरूरी कई काम है ।
प्यार सबकुछ नहीं जिंदगी के लिये ।।
सबको चाँद मिलता नहीं।
है दिया ही बहुत रोशनी के लिये।।”