17 जून को बेतिया में हुई तोड़फोड़ एक सोची समझी साजिश या दुर्घटना

17 जून को भारत सरकार की अग्निपथ योजना के विरोध में छात्रों का आंदोलन ने भयावह रूप धारण कर लिया क्या इसका अंदाजा पुलिस प्रशासन को नहीं था आखिर शुरुआती कुछ घंटों मे पुलिस दंगाइयों के आगे बेवस नजर आयी जब तक पुलिस एक्शन मे आती तब तक दंगाइयों ने करोड़ों की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचा दिया

इस आंदोलन में जहां रेलवे की करोड़ों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया उसी के साथ साथ पूरे शहर में आंदोलनकारियों ( या उनके भेष मे दंगाइयों ) द्वारा करोड़ों रुपए की निजी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया गया। हालांकि किसी भी देश में सरकार के किसी भी नियम का विरोध इस तरीके से करना जायज प्रतीत नहीं होता लेकिन एक बड़ी बात यह भी है कि क्या इस आंदोलन में हुई तोड़फोड़ या निजी संपत्ति के नुकसान की वजह आंदोलनकारी हैं या आंदोलनकारी के भेष में कुछ अराजक तत्वों द्वारा एक सोची समझी साजिश के तहत सरकारी निजी एवं राजनीतिक लोगों की संपत्ति को निशाना बनाया गया।

राज्य की माननीय उप मुख्यमंत्री, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और भाजपा जिलाध्यक्ष के निवास को जिस तरह हमलावरों ने निशाने पर लिया इससे साफ़ प्रतीत होता है की यह एक सोची साजिश का नतीजा है और प्रशासन को इसपर सख्त कदम उठाना चाहिये

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