बेतिया मे पैदल चलने वालों की क्यों चिन्ता नहीं करते AC मे रहने वाले अधिकारी और जनप्रतिनिधि

बेतिया नगर मे आम जनता ( जो पैदल चलती) है उसकी की सुविधा का ख्याल किसी भी विभाग या उनके अधिकारी द्वारा नहीं रखा जाता है क्योंकि आम आदमी की तकलीफों को AC गाड़ी बैठ कर चलने वाले पदाधिकारियों को पता ही नहीं चल पाता। जिले में आम जनता के सेवक कहलाने वाले हैं इन अधिकारियों को नगर मे पैदल चलने वाले आम और गरीब जनता की चिंता तो बिल्कुल ही नहीं करते

अगर देखा जाय तो बेतिया नगर की आधी से अधिक सड़के और गालियाँ आम आदमी के चलने लायक नहीं है लेकिन विकास भवन के AC कमरों मे बैठकर जिले के बड़े अधिकारी जो करोडों की सड़कों का निर्माण कर नगर मे विकास करवाते है परंतु उन निर्माणों के बाद भी नगर की सड़कों की बदहाली दूर नहीं होने की वजह क्या है ये तो समझ के बाहर है

आखिर प्रति वर्ष करोड़ों की बनने वाली सड़कों का फायदा आम नागरिकों को मिलता है इसका अंदाजा ये अधिकारी बिना पुर्व प्रोग्राम के आम आदमी की तरह नगर का पैदल भ्रमण कर जान सकते है परंतु एक बड़ा यक्ष प्रश्न है की अधिकारी को ऐसी जरूरत क्यों पड़ेगी जब उन्हें पता है की आम आदमी के पैदल चलने वाली जगह को इन्हीं अधिकारियों ने ठेकेदार और अवैध अतिक्रमणकारियों के बेच दिया गया है

सबसे बड़ी बात शहर के हर पोल खंबे पर अपनी विकास पुरुष होने के दावे करने वाले बैनरों वाले जनप्रतिनिधि ( जनसेवक या भावी उम्मीदवारों ) द्वारा जनता की इस जरूरत के लिये आवाज उठाने की कोशिश नहीं करता और जनता भी फुटपाथ के बदले बीच सड़क पर चलकर छोटे बड़े वाहन चालकों के लिये परेशानी बनकर अपना काम चला लेती है परंतु आवाज उठाने की कोशिश नहीं करती

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