क्या जिले मे भ्रस्टाचार भी एक ऐसी बीमारी हो गई है जो है हर जगह परंतु दिखाई किसी को नहीं देती जी हाँ यह बिल्कुल सही है जिले का शायद ही कोई ऐसा विभाग हो जहाँ भ्रष्टाचारियो ने अपनी जगह नहीं बनाई हो परंतु अच्छे कार्यों को अपनी उपलब्धी बताने वाले अधिकारियों को भ्रस्टाचार कहीं भी दिखाई नहीं देता।
हालाँकि जनता इस भ्रस्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज उठाना चाह्ती है परंतु क्या करे इसकी गहराई इतनी है जहाँ तक पहुँच पाना आसान नहीं । ऐसा नहीं है विभागीय भ्रस्टाचार का पता जिले मे ईमानदार अधिकारियों को नहीं है परन्तु वो लिखित शिकायत के इंतजार मे बैठे रहते है । कई कर्मचारियों को निगरानी ने पकड़ा है परंतु स्थिति वैसी ही बनी हुई है।
भ्रस्टाचार का सबसे बड़ा उदाहरण मीना बाजार और छोटा रमना है जहाँ पुर्व के जिलाधिकारी के समय अवैध निर्माणों को टूटने के डर से भू माफियाओं की जान अटकी थी पुर्व के जिलाधिकारी के जाते ही भू माफियाओं द्वारा सरकारी जमीन पर बड़े बड़े भवनों का निर्माण पूरी रफ्तार से हो रहा है हालांकि किसी भी मामले भ्रस्टाचार के सबूत नहीं है परंतु इन अवैध निर्माणों के लिये जिम्मेदार अधिकारियों की लंबी फौज है जिसमे अंचल निरीक्षक, अंचलाधिकारी, अनुमंडलाधिकारी, नगर आयुक्त समेत कई अधिकारी शामिल है परंतु क्या लालच है जो सभी अधिकारी आँख मूँद लेते है।
अभी ताजा मामला जिसमे आंगनवाड़ी पर्यवेक्षक के पति की गिरफ्तारी हुई है जिसमे एक आंगनवाड़ी द्वारा रिश्वत माँगने की शिकायत पर पर्यवेक्षिका रेणु देवी के पति राजेश गुप्ता द्वारा 13500/- रूपया रिश्वत लेते हुए निगरानी टीम ने किया गिरफ्तार किया परंतु एक बड़ा सवाल क्या इस रिश्वत की रकम को क्या पर्यवेक्षिका द्वारा अकेले के लिये लिया गया या और भी हिस्सेदार थे।
हाल ही के दिनों में पूजा सिंघल के पास से जो करोडों की रकम पकड़ी गई थी वो भी इसी तरह छोटे छोटे भ्रस्टाचार से वसूली गई रकम हो सकती है।
अगर सभी मामलों को मिलाकर देखा जाय तो यही नगमा सुनाई देता है ।
” जो पकड़ा गया वो चोर , नहीं तो सब ईमानदार “
अगले अंक मे भ्रस्टाचार की एक नई कहानी…….