देखा जाए तो पश्चिम चंपारण जिले में अवैध अंग्रेजी दवाखानों की संख्या वैध दवा दुकानदारों से ज्यादा है। सबसे बड़ी बात तो यह उठती है कि इन अवैध दवा दुकानदारों का संरक्षक कौन है, अभी तक इस बात का अंदाजा लगाया था कि कोई संगठित गिरोह है जो इन अवैध दुकानदारों को संरक्षण देता है। और उसके बदले एक निश्चित रकम लेता होगा। परंतु ग्रामीण क्षेत्रों की दवा विक्रेताओं से इस संबंध में बोलने से परहेज किया परंतु कुछ दुकानदारों द्वारा बताया गया कि महिला औषधि निरीक्षक साल में दो बार एक निश्चित रकम लेकर इन्हें व्यापार की इजाजत देती है।
दवा दुकानदारों ने खुलकर महिला औषधि पर आरोप लगाए है इन्हीं महिला निरीक्षक पर कुछ महीने पूर्व भी आरोप लग चुके है।
इस संबंध में जब हमने उस क्षेत्र की महिला औषधि निरीक्षक से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि अवैध को रोकने की जवाबदेही जिलाधिकारी की भी है आप उनसे सवाल क्यों नहीं करते हैं । औषधि निरीक्षक द्वारा दुकानदार की गई बातों का जवाब देने के बदले उन्होंने उल्टे पत्रकारों पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए उन्होंने जिलाधिकारी से इस संबंध में सवाल करें अब सवाल यह है कि आखिर उन्होंने अपने ऊपर लगाए गए आरोप और के सम्बंध मे कोई ठोस जवाब क्यों नहीं दिया , इस संबंध में जब सिविल सर्जन से मिलने का प्रयास किया तो व्यस्त होने के कारण उनका पक्ष नहीं लिया जा सका।