जी हाँ कहने को बेतिया में प्लास्टिक प्रतिबंध है, परंतु सही मायने में देखा जाय तो बेतिया नगर में इसका कोई औचित्य नहीं है। अगर देखा जाय तो प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाकर सिर्फ इसे अवैध कमाई का जरिया बना दिया गया है। प्रतिबंध लगाने के बाद इसके दामों से सिर्फ बढ़ोतरी हुई है जिसका बोझ छोटे दुकानदारों पर प़डा है परंतु इसके प्रयोग में कोई कमी नहीं आयी है ।आज भी यह प्लास्टिक खुले आम प्रयोग में है चाहे छोटे होटल हो या ठेला व्यापारी बेतिया के हर कोने मे इसका प्रयोग खुलेआम हो रहा है।
अगर सूत्रों की माने तो जिस विभाग को इसे रोकने की जवाबदेही है उस विभाग के अधिकारी कुंभकर्णी निद्रा में सोये हुये है। अगर वास्तविक स्थिति की कल्पना की जाये तो वर्तमान स्थिति यह है की प्रतिबंध के नाम पर इसके दामों में जरूर बढ़ोतरी हुई है ।
अब इस बढ़ोतरी की रकम का बंटवारा कैसे होता है इसका अंदाजा आम आदमी आसानी से लगा सकता है। हालंकि सभी अधिकारी ईमानदार है, परन्तु इतनी बड़ी मात्रा मे अगर प्लास्टिक की थैली का प्रयोग हो रहा है तो कहीं ना कहीं अधिकारियों की मिलीभगत की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। एक बड़ा सवाल यह भी है की अगर जिम्मेदार अधिकारी इस कानून का पालन कराने में अक्षम है तो उन्हें इस नगर में प्रतिबंध को स्थगित कर देना चाहिये, ताकी इस प्रतिबंध के नाम पर हो रही लूट खसोट से छोटे दुकानदार ठेलेवाले इत्यादि व्यापरियों को राहत मिल सके।