ज़िले के स्वास्थ्य अधिकारियों की अकर्मण्यता ने एक और जान ले ली

कहने को डॉक्टर को हमारे समाज ने भगवान का दर्जा दे रखा है, परंतु बेतिया में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने अपने निजी लालच के कारण कुछ शैतानों को भी भगवान से चोले में शहर में उतार रखा है । धीरे-धीरे इनका लालच इतना बढ़ गया है कि भगवान कम और भगवान रूपी चोले में शैतान की संख्या ज्यादा हो गई है। और भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस पर लगाम कसने में बिल्कुल असमर्थ है ।

अधिकारियों की इस असफलता का दंड जिले की आम जनता को भुगतना पड़ता है। जहां अनपढ़ और भोली भाली जनता ऐसे अवैध डॉक्टर के दलालों के चंगुल में आसानी से फंस जाते हैं, और अक्सर अपनी जान को दवा देते हैं। कई हादसे तो ऐसे होते हैं जिसमें लोगों को पता ही नहीं चलता और अगर लोगों को पता चल जाए तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ जांच का बहाना कर खानापूर्ति पूरी कर देते हैं।

ताजा मामला भी अस्पताल रोड में संजय जाासवाल के मकान के दक्षिण गली में मनोज कुमार द्वारा अपने मकान में राजेश कुमार शिशु रोग विशेषज्ञ की आड़ में जॉनी नामक नर्स के सहयोग से अपने मकान में अवैध गर्भपात केंद्र चलाया जा रहा था। जहाँ सोमवार की संध्या एक महिला की मौत उक्त अवैध नर्सिंग होम में हो गई। इस संदर्भ में सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र कुमार चौधरी के द्वारा मामले की जांच के लिए टीम गठित कर दी गई है।परन्तु जाँच का हस्र क्या होगा यह तो सर्वविदित है।जानकारी के अनुसार 72 घंटे से ज्यादा बीत जाने के बाद भी उस अवैध नर्सिंग होम के मालिक डॉक्टर नर्स और दवा दुकानदार के ख़िलाफ़ किसी तरह की ठोस कारवाई विभाग द्वारा नहीं की गई है।

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