जी हाँ भ्रस्टाचार को आज के जीवन नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। परंतु न्यायालय पर लोगों का विश्वास रहता है हर आदमी के मन मे ये विश्वास रहता है की हमे न्यायालय से इंसाफ जरूर मिलेगा परन्तु एक मामला ऐसा आया है जिसने आम आदमी के विश्वास को हिला दिया है।
अधिवक्ता ने न्यायाधीश से शिकायत दर्ज करायी है कि आदेशपाल को एक सौ रुपये नहीं देने के कारण उनके मुवक्किल को एक रात जेल मे ज्यादा बितानी पडी। मामला बहुत ही छोटा है पर भ्रस्टाचार की दृष्टि से देखा जाय तो बहुत ही बड़ा है। एक ही कांड के चार आरोपी जिसमे से तीन को एक दिन पहले छोड़ा जबकि एक आरोपी के अधिवक्ता द्वारा 100 रुपये नहीं दीया गया तो उसके मुवक्किल को एक दिन बाद छोड़ा गया।
अधिवक्ता ने इस सम्बंध में जिला एवं सत्र न्यायाधीश से आदेश पाल के विरुद्ध शिकायत दर्ज करायी है जिसमे उन्होंने कहा है कि उनके द्वारा आदेश पाल को 100 रुपया नहीं दिया गया जिसके कारण उसने रिलीज ऑर्डर को देरी से पहुँचाया जिसके कारण उनके मुवक्किल को एक दिन ज्यादा जेल में गुजरना पड़ा जबकि इसी कांड में बेल पाये अन्य तीन अभियुक्त को एक दिन पुर्व जेल से छोड़ दिया गया। उन्होंने इस मामले में आदेश पाल को दोषी बताया है।
मामला सुपौल जिले का है जहाँ के अधिवक्ता धीरेन्द्र कुमार सिंह ने यह शिकायत दर्ज करायी है।