“बालू जिसे पीला सोना भी कहा जाता है । और कहा जाय तो बिहार मे बालु का वैध से ज्यादा अवैध खनन होता है । बालू माफियाओ का भाय इतना है की बेतिया जैसे छोटे जिले मे प्रतिदिन सैकड़ो गाड़ी बालू का अवैध परिवहन होता है परंतु होता है परंतु ना ही पुलिस ,परिवहन और खनन के अधिकारी इसपर कारवाई नहीं करते अब इसकी बड़ी वजह क्या है ये तो वही जाने । परंतु ऐसा लगता है इसके पीछे मुख्य वजह घूसख़ोरी या माफियाओ का डर वजह हो सकती है “
बिहार मे हर साल बालू का खनन 1 अक्टूबर से शुरू हो जाता है । परंतु मानसून की सक्रियता को देखते हुये राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने बिहार में बालू खनन पर 15 अक्टूबर तक रोक लगा दी है । मॉनसून को लेकर एक जुलाई से 30 सितंबर तक राज्य के सभी नदी घाटों से बालू खनन पर रोक लगी रहती है ।
आपको बता दे की बिहार मे आधिकारिक तौर पर कुल घाटोकी संख्या 524 है जिसमे से 268 घाटो की निविदा हो चुकी है। खनन विभाग ने नई बंदोबस्ती नीति मे कई बदलाव किये है जिसे नये बंदोबस्तधारियों को पूरा करना होगा बिना इन नियमो के पालन के बालू का परिवहन नहीं हो पायेगा।अब बालू का परिवहन करने वाले प्रत्येक वाहन मे जीपी एस का लगा होना अनिवारी है । साथ ही बंदोवस्त्धारियों को घाटों पर सीसीटीवी और धर्मकांटा लगाना अनिवार्य है ।
वहीं खनन विभाग का कहना है कि राज्य में बालू की कोई समस्या नहीं है,आगले चार महीनों तक का बालू का पर्याप्त भंडार है।