आखिर ज़िले मे हजारों हरे पेड़ काट दिये जायेंगे विकास के नाम पर-कहाँ है जिले के पर्यावरण प्रेमी

    ”  जी हाँ ये बिल्कुल सही है की कुछ पाने के लिये कुछ खोना पड़ता है परन्तु अगर बिना खोये कुछ पाया जा सकता हो तो खोना जरूरी नहीं होता पर आखिर बिना बचाने की कोशिश किये चंपारण में लगभग पाँच हजार से ज्यादा पौधों को काटा जा रहा है हालाँकि यह लंबे समय से संसद से लेकर न्यायालयों, शिक्षण संस्थानों यहाँ तक कि सामाजिक संगठनों द्वारा भी पेड़ों को बचाने की मुहिम चलाई जाती रही है। पेड़ों की सुरक्षा को लेकर चंपारण के पर्यावरण प्रेमी जो कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक प्रमाणपत्रों के माध्यम से जागरुकता फैलाते रहे है। “

आपको बता दे कि विकास की योजनाओं के तहत जिले मे 35.7 किलोमीटर लंबी सड़क ( बेतिया-नरकटियागंज) का पुनःनिर्माण कार्य चल रहा है। 317.26 करोड़ की लागत के अनुमान वाली इस सड़क का निर्माण हैदराबाद की कंपनी द्वारा किया जा रहा है। इस योजना के मार्च 2025 तक पूरी होने की उम्मीद है। इस सड़क के निर्माण पूर्ण होने के बाद नरकटियागंज के लोगों को काफी फायदा होगा अनुमान के मुताबिक अभी जो दूरी लगभग एक घंटे में तय होती है उसे चालीस मिनट में तय किया जा सकेगा। जानकारी के मुताबिक इस परियोजना के लिये पाँच हजार से ज्यादा पेड़ों को काटा जाएगा वहीँ तीन हजार से ज्यादा पेड़ों को हस्तांतरित करने की योजना है। 

हालाँकि प्रशासन द्वारा की जा रही कारवाई नियमानुसार है और नियमानुसार नये पौधे लगाने जायेंगे परंतु सरकारी आंकड़ों को गौर फरमाने पर पता चलता है सरकारी आंकड़ों में ही लगभग पच्चीस प्रतिशत पौधे नष्ट हो जाते है जबकि वास्तविकता कुछ और भी हो सकती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016-2021 के बीच सरकार द्वारा कुल 21 करोड़ पौधे लगाये गये थे जिनमे से 16 करोड़ पौधे ही बचाये जा सके। 

              आज के समय में पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग पर चिन्ता,परिचर्चा पर लगी है और इसी दौरान पूरे भारत में मात्र 31 लाख पेड़ों को काटने की अनुमती दी गई है। 2020-2021 के दौरान सिर्फ बिहार मे विकास योजनाओं के लिये 61244 पेड़ों को काटा गया है जबकि इसी दौरान उत्तर प्रदेश मे विकास के नाम पर 311998 पेड़ों की कटाई की गई। 

 

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