PWD के सहायक अभियंता और RWD के प्रधान लिपिक को दी गई भावभीनी विदाई

 31 अक्टूबर को चम्पारण के दो कार्यालय PWD और RWD विभाग के लोगो ने अपने सहकर्मियों को भावभीनी विदाई दी ।  पी डब्ल्यू डी में सेवाएं पूर्ण करने पर सहायक अभियंता इंजीनियर श्याम देव प्रसाद यादव सेवानिवृत्त हुए। दूसरी तरफ आर डब्ल्यू डी के प्रधान लिपिक रविंद्र कुमार मिश्रा सेवानिवृत्ति हुए। सहायक अभियंता के सम्मान में पी डब्ल्यू डी कार्यालय परिसर में विदाई समारोह का आयोजन किया। आपको बता दे की श्यामदेव प्रसाद यादव गृही जिला लखीसराय हैं वह राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज धनबाद से इंजीनियर की पढ़ाई की और 1988 में कनिय अभियंता के पद पर आसीन हुए थे और वे सहायक अभियंता पद से पश्चिम चंपारण में सेवानिवृत हुए। विदाई समारोह के दौरान भावुक हुए और उन्होंने कहा कि मेरे बातों से जिनको कोई ठेस पहुंचा है तो उन से क्षमा प्राप्ति। आगे उन्होंने कहा कि बेतिया के लोगों ने जो मुझे प्यार दिया वह मुझे कहीं नहीं मिला। विदाई समारोह के दौरान कार्यपालक अभियंता सुमन देव कुमार ने कहा कि जो जन्म लिया है उसका अंत भी होगा और नौकरी में जो आएगा वह एक दिन रिटायर जरूर होगा। नौकरी करने में मतभेद जरूर होती है लेकिन सब कुछ भूला कर एक साथ मिलकर काम करना पड़ता है। इस अवसर पर सहायक अभियंता अजय कुमार, नीरज कुमार, कनीय अभियंता राजेश कुमार, सहायक निदेशक (क्वालिटी कंट्रोलर) विनय कुमार, लेखपाल आलोक कुमार, संवेदक छोटू पाठक सहित सभी सहयोगी कर्मचारी ने उनके लंबे जीवन की शुभकामना दी।

वही आर डब्ल्यू डी के प्रधान लिपिक रविंद्र कुमार मिश्रा के सेवानिवृत होने पर आर डब्ल्यू डी कार्यालय के बरामदे मे भी विदाई उनके सहयोगियों ने बृहत् रूप से समारोह का आयोजन कर धूम धाम से विदाई दी गई । विदाई समारोह के दौरान बोलते हुए उनके साथियो ने उनके कार्यकाल की भूरी भूरी प्रसंशा की उनके बारे में बोलते हुए कई साथी भावुक हो गए । ऐसा लग रहा था की अगर उनके हाथो में होता तो वो उन्हें सेवनिर्वित होने ही नहीं देते ।  कार्यपालक अभियंता चंदेश्वर मंडल ने कहां कि जब से जन्म हुआ है किस समय जन्म तिथि पर लिखा जाता है आपका रिटायरमेंट कब है। जब 60 साल हो जाती है तो ऑटोमेटिक रिटायरमेंट हो जाती है।  आगे उन्होंने कहा मैं उनके अगले उज्जवल भविष्य का कामना करता हूं। संवेदक अनिल झा ने भी उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। विदाई समारोह में पल पल ऐसा लग रहा था जैसे ” कभी ख़ुशी कभी गम का माहौल ” है । अंत में सभी साथियो ने फ़िल्मी गाने 

कभी अलविदा ना कहना
कभी अलविदा ना कहना

पर झूम झूम कर उन्हें गमगीन माहौल में विदाई दी । 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *