चंपारण में प्रशासन द्वारा भू माफियाओं कि अनदेखी से अरबों की सरकारी ज़मीन पर इनका कब्जा

          ”  पिछले दिनों बैरिया अंचलाधिकारी का एक ऐसा मामला सामने आया जिसमे उन्होंने गरीब को इंसाफ के नाम पर सालों तक लटकाए रखा और दबंगों के मेल में उन्हें उस गरीब की जमीन पर दोमंजिला मकान निर्माण करने में मदद की यहाँ तक कि अंचलाधिकारी महोदय ने भूमि सुधार उपसमाहर्ता के आदेश को नहीं मानते हुये उस गरीब को कई वर्षो तक बेदखली बाद मे उलझा कर रखा। अभी कुछ दिन पहले ही नगर निगम के एक वार्ड पार्षद के निवास पर भूमि माफियाओं के आतंक से परेशान लोगों ने बैठक की “

एक अंदाज के मुताबिक थानों में दर्ज मामलों को देखा जाय तो भूमि विवाद के मामलों की संख्या काफी है। और इन विवादों की मुख्य वजह अधिकारियों की गलती है जिसके वजह से मालिकाना हक के लिये अक्सर दो पक्षों में विवाद होता है। हालंकि पारिवारिक भूमि विवादों की भी कमी नहीं है परंतु इसकी वजह भी कागजातों की कमी होना बताया गया है। सरकार ने दस्तावेजों को कम्प्यूटरीकरण तो करवा दिया परंतु अगर आप अंचल कार्यालय का चक्कर लगाया जाय तो वहा अनेक ऐसे लोगों से मुलाकात होगी जो अपने कागजातों को सुधारने के लिये चक्कर लगा रहे है। क्यूँकी सरकारी लोगों ने सरकार के आदेश आदेश का पालन करते हुये कंप्यूटरीकरण तो किया परंतु अधिकाँश मामले में आधी अधूरी/ गलत जानकारी रहने के कारण आम आदमी उसमे सुधार के लिये बार बार अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है। 

        यही नहीं सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के सैकड़ों मामले सिर्फ एफ आई आर में फाइलों की शोभा बढ़ा रहे है। पुलिस द्वारा सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वाले लोगों पर कोई कारवाई नहीं होने से माफियाओं द्वारा अरबों रुपये की संपत्ति पर कब्जा कर लिया और इस कृत्य में पुलिस और अधिकारियों की मिली भगत की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

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