नगर निगम के बदल गये आयुक्त नहीं बदला कामकाज का तरीका

           नगर निगम मे नये नगर निगम आयुक्त को आये एक महीना हो गया है परन्तु कार्य करने का तरीका पुराने ही तरीके से चालू है। हाँ बदला है तो सिर्फ इतना की पहले नगर निगम मे भरस्टाचार के आरोप प्रत्यारोप लगते थे अब चारो ओर शांति है।

आपको बता दे की नगर निगम मे अनियमितता की आवाज़ उठाना आम आदमी के लिये मुश्किल है क्योंकि यहां तो जन प्रतिनिधियों द्वारा जनहित में उठाई गई बातों को भी नहीं सुना जाता है। आपको बता दें कि उप महापौर द्वारा चुनाव जीतने के बाद से ही नगर निगम क्षेत्र में अवैध वसूली को रोकने के लिए संवेदक को द्वारा जगह-जगह पर होर्डिंग लगाने सम्बन्धी आवाज़ उठाई जाती रही है लेकिन 2 साल से ज्यादा बीत जाने के बावजूद भी उपमाहापौर की यह मांग धरातल पर नहीं उतर पाई।

                   नगर निगम के बारे में आप अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि जब उपमाहापौर को नगर निगम 2 सालों में नहीं सुन सका तो आम आदमी की बातों को कब तक सुना जाएगा इसका अंदाज आप अपनी तरफ से लगा सकते हैं।

                    हालांकि हालांकि नगर निगम के अधिकारियों की ईमानदार होने पर कोई शक नहीं किया जा सकता लेकिन इनके क्रिया कलापो से भ्रस्टाचार की महक हमेशा आती रहती है। नए नगर निगम के आयुक्त के आने के बाद शायद ऐसी संभावना बनी थी कि शायद भ्रष्टाचार पर कुछ लगाम लग सके पिछले एक महीने की क्रियाकलाप से ऐसा कुछ भी होता प्रतीत नहीं हो रहा है हां एक बात जरूर हुई है कि नगर निगम में आरोप प्रत्यारोप का दौर खत्म हो गया।

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