कांग्रेस की चुनावी रणनीति ने केजरीवाल की मुश्किलों को बढ़ा दिया 

 दिल्ली विधानसभा चुनाव पर सुनील दुबे की रिपोर्ट 

अरविन्द केजरीवाल की आप पार्टी का जैसे सत्ता से बेदखल कराने पर कांग्रेस ने कमर कस लिया हैं। जिस प्रकार चुनावी बिसात कांग्रेस ने बिछाया हैं, इस हिसाब से पूर्ण बहुमत लेकर विधानसभा में पहुंचाना आप के कप्तान केजरीवाल को मुश्किल ही नहीं, टेढ़ी खीर हैं। लगता हैं कि केजरीवाल ने गुजरात और हरियाणा में जितना नुकसान कांग्रेस को पहुंचाया है उस सब का हिसाब इस बार दिल्ली विधान सभा के चुनाव में लेने के लिए कांग्रेस ने कमर कस लिया हैं।

                लागतार दिल्ली में शीला दीक्षित के नेतृत्व में तीन टर्म तक सत्तासीन रहने वाली कांग्रेस 2015 में सत्ता से बेदखल हो गई और कांग्रेस पुनः सत्ता में आने के लिए उसके बाद के चुनाव 2020 में अपने कमर को नहीं कस सकी। यहां तक कि पीछे के दोनों ही चुनावी सत्र में वह अपना खाता तक नहीं खोल सकी।2020 के चुनावी वोट प्रतिशत को अगर देखा जाए तो उसे मात्र पाँच प्रतिशत वोट ही प्राप्त हो सका था। लगता हैं कि कांग्रेस “आप पार्टी” को सत्ता से बेदखल करने पर तूली हुई हैं। गुजरात और हरियाणा के चुनावों में कांग्रेस को “आप” के कारण ही फजीहत झेलनी पड़ी। जिसका हिसाब किताब दिल्ली के चुनाव में कर लेने का जैसे उसने ठान रखी हैं। माना यह भी जा रहा हैं कि केजरीवाल को सबक सिखाने के लिए चुनावी ताना बाना सांसद प्रियंका गांधी की बनाई गई रणनीति के तहत ही कांग्रेस ने जबरदस्त जाल बिछाया हैं।

                      बिछाई गई चुनावी बिसात का एक झलक सामने हैं:- नई दिल्ली विधान सभा क्षेत्र से अरविन्द केजरीवाल अपनी पार्टी से उमीदवार है, जबकि कांग्रेस ने अपना उमीदवार दिल्ली में काफी लोकप्रियता हासिल करने वाली शीला दीक्षित के पुत्र सांसद संदीप दीक्षित को उमीदवार बनाकर उतरा हैं। संदीप दीक्षित की भी लोकप्रियता कम नहीं हैं। इसी प्रकार कालकाजी छेत्र से दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी आप की उमीदवार हैं। काग्रेस में ऊंचा पद और ऊंचा कद रखनेवाली तेज तर्रार महिला नेत्री तथा अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा को मैदान में उतार हैं। वही दिल्ली कांग्रेस को यू समझिए सीधे तौर पर राहुल गांधी ही हैंडल कर रहे हैं। राहुल और प्रियंका दिल्ली विधान सभा चुनाव की नीतियां तैयार कर रहे हैं। सलीमपुर विधान सभा क्षेत्र जो मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र हैं, वहां जबरदस्त रोड सो राहुल गांधी ने किया। वहां उन्होंने भाजपा से ज्यादा ” आप पार्टी” एवं उसके कप्तान केजरीवाल पर हमला बोला। वहां की चुनावी सभाओं से ऐसा लगता हैं कि, भले ही भाजपा मजबूत बनकर सदन में चली जय, लेकिन “आप”मजबूत बनकर न जा सके। कांग्रेस ने सभी 70 सीटों पर अपना उमीदवार उतार चुकी हैं। सभी विधान सभा क्षेत्रों में मजे हुए नेताओं को लगाया गया हैं। खुद प्रियंका गांधी मॉनिटरिंग कर रही हैं। कब और कहां राहुल गांधी तथा प्रियंका रोड सो करेंगी, रूट चार्ट तैयार किया जा रहा हैं।

                  उम्मीदवारों को हिदायत दी गई हैं कि, मौसम के कारण अपने को न रोके, हर घर के चौखट पर जाय, अपना सर नवाए। अपने पांच जनहितकारी वादों के पर्ची को खुद से उनके हाथों में थमावे। कांग्रेस की चुनावी गति से निः संदेह आप पार्टी के नेता सिर्फ सकते में ही नहीं हैं बल्कि अंदर ही अंदर भय में भी हैं। एक प्रकार से उन्हें डर तो सताने लगी है कि, पिछले दो चुनावों में कांग्रेस दिल्ली के प्रति इतनी संवेदनशील नहीं हुई, इस बार उनकी इतनी घेराबंदी क्यों? वहीं यह कयास लगाया जा रहा हैं कि, अगर खायेंगे नहीं तो खाने भी नहीं देंगे नीति कांग्रेस अख्तियार कर रही हैं।

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