भर्ष्टाचार मे लिप्त आई पी एस को झारखण्ड सरकार ने सचिव के पद से नवाज़ा

          वर्ष 2022 में करोड़ों का हेराफेरी करने के मामले में देश स्तर पर सुर्खियों में रहने वाली आईएएस पूजा सिंघल झारखण्ड में पुनः सूचना एवं प्रौद्योगिकी एवं ई गवरनेश विभाग का सचिव पद संभाला।

             पुनः आज की तारीख में पूजा सिंघल चर्चा में हैं। जब ईडी ने उन्हें पदीय भार सौपे जाने पर पी एमएल कोर्ट में आपत्ति वाद दायर किया तो कोर्ट ने सोने में सुहागा डाल कर ईडी के आपत्ति वाद को खारीज कर दिया। अब तो पूजा सिंघानिया का बल्ले बल्ले हैं। और इस बल्ले बल्ले की चर्चा जारी हैं।

 पूजा सिंघल पर विश्लेषनात्मक चर्चा सुनील दुबे की कलम से

पूजा सिंघल के नाम का एक दौर आया जो पुरे भारत में चर्चा का विषय बना। उत्तराखंड में 07 जुलाई 1978 को जन्मी पूजा ने 21 वर्ष 7 दिन के उम्र में आईएएस बनकर पुरे भारत में चर्चित हो गयी। यही नहीं प्रारंभिक पढ़ाई से लेकर अपने आख़री पढ़ाई तक अग्रणी श्रेणी में वह रही। उपलब्धियों की उनकी ऐसी श्रृखला रही कि “लिम्का बुक्स ऑफ़ रिकॉर्ड “में वह शामिल की गयी। कंपटेटिव एग्जामो में पूजा सिंघल जी के के प्रश्नों में कई वर्षी तक छायी रही। युपीएससी में सफलता के बाद वह झरखंड कैडर में 2000वर्ष की आईएएस बनी। इस बैच में पूजा शोहरत के शिखर पर थी। शोहरत के शिखर पर बैठने वाली पूजा सिंघल मनरेगा घोटाला के राशि का मनी लैंडरिंग में आरोपित हुयी तो फिर से वे चर्चा के शिखर पर थी। लेकिन इस चर्चा में पहले की चर्चा में काफी अंतर था। पहले वे सम्मान के चर्चा में थी और बादवाली जो चर्चा हुयी वह अपमान वाली चर्चा थी। जब वे 11 मई 2022 को गिरफ्तार कर जेल भेजी गयी तो फिर से चर्चा में आयी। इनके भाग्य में चर्चाओं का दौर खुब रहा। कभी सम्मान का तो कभी अपमान का।

                   28 माह जेल के सलाखों के भीतर रहने के क्रम में भी चर्चित होती रही हैं। जब पूजा सिंघल 2009-10में झारखण्ड के खुटी जिले में डिप्टी कमीशनर थी उसी समय उनपर गंभीर आरोप सामने आया कि मनरेगा का 18 करोड़ की राशि का हेराफेरी की गयी हैं। वहां के बाद चतरा में डिप्टी कमीशनर के रूप में कार्यरत हुयी तो वहां भी चार करोड़ से ज्यादा मनरेगा की ही राशि का उनपर इधर उधर करने का आरोप लगा। पलामू जिला में जब वे कार्यरत हुयी तो दाग वहां भी लगा कि मैडम ने माफियायों को भरपूर कमाने के लिए अवसर दे दिया। खदानों के नियमों में इस कदर सरलता दे दी कि धंधेबाजो की खुब चांदी रही। मामला ईडी के हाथो जब चढ़ा तो पूजा सिंघल की चर्चा आसमान पर रही।ईडी ने उनके तथा आरोपी उनके सहयोगियों के दर्जनों ठिकानों पर ताबतोड़ छपामारी करती रही और पूजा की चर्चा होती रही।

                      ईडी की लम्बी छपामारी अवधि रही जिसमें 36.58 करोड़ रुपया बरामद किया गया। जिसमें ईडी ने 5.34 करोड़ रुपया बेनामी बरामद किया तथा 11.88 करोड़ मनी लउंड्रीग से जुडा हुआ बताया गया। पूजा घपला घोटाला प्रकरण में सिर्फ वही नहीं झामुमो नेता पंकज मिश्रा सहित दर्जनों राजनीतिक गलियारे के रसूखदार भी ईडी के डायरी में अंकित किए गए। पूजा सिंघल फिर से एक बार चर्चा में छगयी हैं। ईडी न्यायालय ने दो वर्ष चार माह जेल में रखने के बाद दो दो लाख के निजी मुचेलके पर जमानत दे दिया।

                     जमानत होते ही वे फिर से चर्चा में आयी। चर्चा का दौर रुका नहीं झारखण्ड सरकार में इनके जमानत मिलने के साथ ही उनके आवेदन पर सहनभूति रखते हुए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक हुयी तथा उन्हें पुनः कार्य दायित्व निर्वहन हेतु निर्णय लिया गया। इस संदर्भित विषय की अधिसूचना जारी करते हुए उन्हें पहले कार्मिक विभाग में योगदान के लिए आदेशित किया गया जो चर्चा का विषय रहा। अब पुनः नई चर्चा जारी हैं कि कार्मिक विभाग में योगदान के उपरांत उन्हें सूचना प्रोधोगिक एवं ई गवरनेश विभाग का सचिव बनाया गया हैं। साथ ही झारखण्ड कम्युनिकेशन नेटवर्क लिमिटेड का मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी का अतरिक्त प्रभार भी दिया गया। यह विषय भी चर्चा के दौर में हैं।

                    आज के समय में भले ही भरस्टाचार में लिप्त पदाधिकारी या कोई भी लोकसेवक आरोपित हो जाय, जेल चला जाय, आरोपित के पास से या उसके ठिकानों से करोड़ो करोड़ो की करेंसी भी बरामद हो जाय,उसके बाद उसका बेल हो जाय तो इसका मतलब यह तो नहीं हुआ क़ी वह आरोप मुक्त हो गया और नयायलय ने उसे बरी कर दिया। यह व्यवस्था अपने आप में एक दोषपूर्ण व्यवस्था हैं। साक्ष्य के अभाव में बेल हो जाय तो पुनः कार्य दायित्व के लिए वापस ले लिया जाय तो कुछ हद तक चलने वाली बात होगी लेकिन जिस विषय पर भ्रष्टाचार का आरोप हैं और विषयगत नकदी मोटे तौर पर बरामद भी हुए और बेल होते ही आरोपी को फिर से विशेष पदीय जिम्मेदारी देकर पद धारक बनाकर महिमा मंडित कर दिया जाय तो उससे भविष्य की क्या अपेक्षा की जा सकती हैं? क़ानून बनाने वालों को ऐसे गंभीर विषयों पर भी गंभीरता से विचार करते हुए क़ानून बनाने की जरूरत हैं।

       इसके बाद सोने पर सुहागा यह रहा की रांची की पीएमएलए कोर्ट ने ईडी की याचिका खारिज की, जिसमें पूजा सिंघल को विभाग सौंपे जाने से रोकने की मांग की गई थी

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