बिहार बंगाली समिति की वार्षिक बैठक मे सरकार को अल्टीमेटम

रविवार को बेलबाग के स्थित रामकृष्ण विवेकानंद विद्यामंदिर प्रांगण में बिहार बंगाली समिति का 54 वीं आमसभा की बैठक हुई । इस आमसभा मे मुख्य अतिथि के रूप मे नीतीश विश्वास, महामचिव, अखिल भारतीय बांग्लाभाषा महासभा के अध्यक्ष डा. (कैप्टन) दिलीप कुमार सिन्हा शामिल रहे। कार्यक्रम की शुरुआत प्रभात फेरी के साथ हुई। उसके बाद आये वक्तताओ ने आज के वर्तमान समय मे समाज की परेशानियों और सरकार के रवैया पर चर्चा करते हुये नितीश सरकार की आलोचना करते हुये कहा की अगर जल्द ही सरकार द्वारा कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाता है तो हम सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे। आज की इस आमसभा मे राज्य भर से आये करीब एक सौ से ज्यादा लोग शामिल हुये।

          प्रेस को सम्बोधित करते हुये दिलीप कुमार सिन्हा ने बताया कि वैरिस्टर प्रफुल्ल रंजन दास के नेतृत्व में 7 अप्रैल 1938 को बनी बिहार बंगाली समिति 86 वर्षों में बिहारवासी बंगालियों के भाषाई वजूद व अधिकारों के लिए लड़ती रही है। स्वतंत्र देश का संविधान विहारवासी बंगालियों की भाषाई अल्पसंख्यक का दर्जा देता है। बिहार के अधिवासी साढ़े तरह लाख बंगालियों में लगभग आधे देश के विभाजन के कारण शरणार्थी हैं जिनकी कई गंभीर समस्याएं हैं। उनके अधिकांश दलित जाति के नाम बंगाल की अनुसूची में तो है लेकिन विहार की अनुसूची में आज तक दर्ज नहीं हो पाया। विहार सरकार द्वारा अनुशंसा किये जाने के बावजूद रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया द्वारा वापस कर दिया गया है।

              आज की इस बैठक में छः मुद्दो पर आंदोलन संबंधित फैसले लिये गये।

1. विहारवासी बंगालियों के सभी दलित जातिनामों को बिहार की अनुसूची में में शामिल किया जाय।

2. नौ साल पहले मुख्यमंत्री द्वारा किये गये बायदे के अनुसार अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में अविलंब ‘भाषाई अल्पसंख्यक कोषांग’ खोला जाय।

3.तत्कालीन उपमुख्यमंत्री के आश्वासन के अनुसार ‘शरणार्थी विकास प्राधिकार स्थापित किया जाय।

4.विहार बंगला अकादमी में पूर्णकालिक अध्यक्ष एवं निर्देशक नियुक्त कर उसे पुनर्जीवित किया जाय।

5. बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग का पुनर्गठन होने पर उसमें एक स्थायी बंगलाभाषी उपाध्यक्ष का पद सूजन किया जाय।

6. विद्यालय व महाविद्यालयों में वंगला पठन-पाठन संबंधित सभी समस्याओं पाठ्य-पुस्तक प्रकाशन, शिक्षक नियोग आदि-निदान हेतु नियमित कारगर कदम लिए जायें।

            आमसभा में इस बात को लेकर गुस्सा था कि सरकार की वादाखिलाफी के कारण हम पुन वर्ष 2009-10 की स्थिति में पहुंच गये हैं। अगर यही स्थिति रही तो हमें फिर से वोट बाँयकाट का आह्वान करना पड़ेगा। कार्यक्रम का समापन राष्ट्र गीत के साथ किया गया।

 

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